प्रदेश में इकलौता था कॉलेज
जानकारों के अनुसार वर्ष 2004 में नैक ग्रेडिंग में ' ए प्लस ' पाने वाले प्रदेश का पहला महाविद्यालय था। उस दौरान प्राचार्य के रूप में डॉ निशा तिवारी ने कॉलेज को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कॉलेज ने प्रदेश भर में वाहवाही बटौरी। कॉलेज की गुणवत्ता को देखते हुए जबलपुर ही नहीं अपितु जबलपुर के बाहर के जिलों से छात्राएं पढ़ने के लिए पहुंची।
रैग्यूलर प्राचार्य नहीं, पद भी खाली
जानकारों के अनुसार कॉलेज में प्राचार्य स्थायी रूप से नहीं रहा। हमेशा प्रभारी नियुक्त रहा तो वहीं तत्कालीन प्राचार्य डॉ.लीला भलावी पर एडी की भी जिम्मेदारी दी गई। नए प्राचार्य की नियुक्ति भी प्रभारी के रूप में रही। कॉलेज में करीब 20 पद जनभागीदारी और गेस्ट टीचर के भरोसे संचालित हो रहे हैं। करीब 10 पद खाली पड़े हैं।
इस तरह गिरा ग्रेड
ए प्लस-वर्ष 2004
ए ग्रेड-वर्ष 2014
बी प्लस-वर्ष 2022
इन दस कारणों से हुए फेल
1.अनुसंधान आत्मक गतिविधियां कमजोर
2.प्रोजेक्ट वर्क लाने में पीछे
3.क्लास रूम की स्थिति बेहतर नहीं
4.छात्रों का फीड बैक आशा के विपरीत
5.ऑनलाइन भेजी रिपोर्ट में अंतर
यह सुझाव
1.शिक्षण सुविधाओं में बढ़ोतरी पर हो फोकस
2.अनुसंधनात्मक गतिविधियों को मिले बढ़ावा
3.कॉलेज में छात्र उपयोगी नए प्रोजेक्ट लाए जाएं
4.क्लासरूम बनाए जाएं स्टूडेंट ओरिएंटेड
5.समय समय पर छात्राओं से की जाए चर्चा
-इस बार फार्मेट में बदलाव रहा है फिर भी हमने पूरी कोशिश की और आशा थी कि हम ए प्लस लेंगे। कुछ कमियों के चलते हम पीछे रह गए। इसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
-डॉ.सुनीता मिश्रा, प्रभारी प्राचार्य शा.मानकुंवर बाई आटर्स एंड कामर्स ऑटोनाॅमस गर्ल्स कॉलेज