यूजी के मुकाबले 15 फीसदी सीटें नहीं
प्रदेश में सात सरकारी आयुर्वेद कॉलेज संचालित है। इसमें यूजी की कुल 525 सीटें है। इसके मुकाबले सरकारी कॉलेजों में पीजी की 15 फीसदी सीटें भी नहीं है। भोपाल के एकमात्र सरकारी आयुर्वेद कॉलेज को छोडकऱ बाकी सरकारी कॉलेजों में भी पीजी सीटों का आंकड़ा दहाई पर नहीं है। कुल पीजी की सीटें महज 55 है। आयुष मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ के अनुसार पीजी पाठ्यक्रमों की शुरुआत की आवश्यकता है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रदेश में सात सरकारी आयुर्वेद कॉलेज संचालित है। इसमें यूजी की कुल 525 सीटें है। इसके मुकाबले सरकारी कॉलेजों में पीजी की 15 फीसदी सीटें भी नहीं है। भोपाल के एकमात्र सरकारी आयुर्वेद कॉलेज को छोडकऱ बाकी सरकारी कॉलेजों में भी पीजी सीटों का आंकड़ा दहाई पर नहीं है। कुल पीजी की सीटें महज 55 है। आयुष मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ के अनुसार पीजी पाठ्यक्रमों की शुरुआत की आवश्यकता है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
दो विषय में पीजी का प्रस्ताव था
छात्र-छात्राओं की मांग पर ग्वारीघाट स्थित आयुर्वेद कॉलेज में दो विषयों में पीजी पाठ्यक्रम शुरूकरने की कवायद हुई थी। सूत्रों के अनुसार फिजियोलॉजी और संहिता सिद्धांत विषय से संबंधित प्रोफेसर कॉलेज में होने से इन दोनों विषय पर पीजी का प्रस्ताव था। लेकिन, यह प्रस्ताव कॉलेज से मंत्रालय के बीच फंसकर रह गया। सरकार की आयुर्वेद को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच पीजी शुरु करने की फाइल दबकर रह गई।
नियमित शिक्षकों की कमी बड़ा अड़ंगा
राज्य सरकार की ओर से नई नियमित नियुक्तिऔर मौजूदा शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने से आयुर्वेद कॉलेज में शिक्षकों की कमी हो गई है। यहीं पीजी की शुरुआत में बड़ी बाधा है। पाठ्यक्रम को मान्यता के लिए पीजी से संबंधित विषय में कम से कम दो प्रोफेसर होने आवश्यक है। आयुर्वेद कॉलेजों में सालों से नियमित पदों पर शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। एसोसिसट और असिसटेंट प्रोफेसरों के 10-10 साल से प्रमोशन नहीं होने से भी प्रोफेसर और एसोसिएट के पद खाली बने हुए है।
ग्वारीघाट कॉलेज में स्थिति
ग्वारीघाट आयुर्वेद कॉलेज में बीएएमएस की 75 सीटें है। करीब 35 टीचिंग स्टाफ है। इसमें अभी चार प्रोफेसर है। जानकारों की मानें तो प्रोफेसर की संख्या कम से कम 14 होना चाहिए। 10-12 एसोसिएट प्रोफेसर है, जबकि ये 18 होना चाहिए। एमडी डिग्रीधारी 10 मेडिकल ऑफिसर्स को लेक्चरर के पद के विरुद्ध रखकर कॉलेज की शिक्षण व्यवस्था को सहारा दिया गया है।
छात्र-छात्राओं की मांग पर ग्वारीघाट स्थित आयुर्वेद कॉलेज में दो विषयों में पीजी पाठ्यक्रम शुरूकरने की कवायद हुई थी। सूत्रों के अनुसार फिजियोलॉजी और संहिता सिद्धांत विषय से संबंधित प्रोफेसर कॉलेज में होने से इन दोनों विषय पर पीजी का प्रस्ताव था। लेकिन, यह प्रस्ताव कॉलेज से मंत्रालय के बीच फंसकर रह गया। सरकार की आयुर्वेद को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच पीजी शुरु करने की फाइल दबकर रह गई।
नियमित शिक्षकों की कमी बड़ा अड़ंगा
राज्य सरकार की ओर से नई नियमित नियुक्तिऔर मौजूदा शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने से आयुर्वेद कॉलेज में शिक्षकों की कमी हो गई है। यहीं पीजी की शुरुआत में बड़ी बाधा है। पाठ्यक्रम को मान्यता के लिए पीजी से संबंधित विषय में कम से कम दो प्रोफेसर होने आवश्यक है। आयुर्वेद कॉलेजों में सालों से नियमित पदों पर शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। एसोसिसट और असिसटेंट प्रोफेसरों के 10-10 साल से प्रमोशन नहीं होने से भी प्रोफेसर और एसोसिएट के पद खाली बने हुए है।
ग्वारीघाट कॉलेज में स्थिति
ग्वारीघाट आयुर्वेद कॉलेज में बीएएमएस की 75 सीटें है। करीब 35 टीचिंग स्टाफ है। इसमें अभी चार प्रोफेसर है। जानकारों की मानें तो प्रोफेसर की संख्या कम से कम 14 होना चाहिए। 10-12 एसोसिएट प्रोफेसर है, जबकि ये 18 होना चाहिए। एमडी डिग्रीधारी 10 मेडिकल ऑफिसर्स को लेक्चरर के पद के विरुद्ध रखकर कॉलेज की शिक्षण व्यवस्था को सहारा दिया गया है।