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Ayurveda medical : प्रदेश के इस शहर में यूजी के बाद छूट रही छात्रों की पढ़ाई, यह है वजह

locationजबलपुरPublished: Jan 07, 2020 06:35:31 pm

Submitted by:

reetesh pyasi

महाकौशल क्षेत्र के एकमात्र आयुर्वेद संस्थान में अभी तक एमडी की शुरुआत नहीं

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जबलपुर। अंचल के एकमात्र सरकारी आयुर्वेद कॉलेज में पीजी कोर्स नहीं होने से बीएएमएस की डिग्री लेने के बाद आधे डॉक्टर एमडी करके विशेषज्ञ नहीं बन पा रहे है। प्राइवेट आयुर्वेद कॉलेजों में पीजी की पढ़ाई बेहद महंगी है। इसके बाद भी प्रदेश में आयुर्वेद में पीजी की सीटों की संख्या सीमित है। इससे छात्र-छात्राओं को पीजी करने के लिए दूसरे प्रदेशों तक भागना पड़ रहा है। वहां भी महंगी फीस और रहने-खाने के मोटे खर्चे उठाने में आधे से ज्यादा छात्र-छात्राएं सक्षम नहीं है। इस फेर में कई विद्यार्थियों की पढ़ाई बीएएमएस के बाद छूट रही है।
यूजी के मुकाबले 15 फीसदी सीटें नहीं
प्रदेश में सात सरकारी आयुर्वेद कॉलेज संचालित है। इसमें यूजी की कुल 525 सीटें है। इसके मुकाबले सरकारी कॉलेजों में पीजी की 15 फीसदी सीटें भी नहीं है। भोपाल के एकमात्र सरकारी आयुर्वेद कॉलेज को छोडकऱ बाकी सरकारी कॉलेजों में भी पीजी सीटों का आंकड़ा दहाई पर नहीं है। कुल पीजी की सीटें महज 55 है। आयुष मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ के अनुसार पीजी पाठ्यक्रमों की शुरुआत की आवश्यकता है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
दो विषय में पीजी का प्रस्ताव था
छात्र-छात्राओं की मांग पर ग्वारीघाट स्थित आयुर्वेद कॉलेज में दो विषयों में पीजी पाठ्यक्रम शुरूकरने की कवायद हुई थी। सूत्रों के अनुसार फिजियोलॉजी और संहिता सिद्धांत विषय से संबंधित प्रोफेसर कॉलेज में होने से इन दोनों विषय पर पीजी का प्रस्ताव था। लेकिन, यह प्रस्ताव कॉलेज से मंत्रालय के बीच फंसकर रह गया। सरकार की आयुर्वेद को बढ़ावा देने के प्रयासों के बीच पीजी शुरु करने की फाइल दबकर रह गई।

नियमित शिक्षकों की कमी बड़ा अड़ंगा
राज्य सरकार की ओर से नई नियमित नियुक्तिऔर मौजूदा शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने से आयुर्वेद कॉलेज में शिक्षकों की कमी हो गई है। यहीं पीजी की शुरुआत में बड़ी बाधा है। पाठ्यक्रम को मान्यता के लिए पीजी से संबंधित विषय में कम से कम दो प्रोफेसर होने आवश्यक है। आयुर्वेद कॉलेजों में सालों से नियमित पदों पर शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। एसोसिसट और असिसटेंट प्रोफेसरों के 10-10 साल से प्रमोशन नहीं होने से भी प्रोफेसर और एसोसिएट के पद खाली बने हुए है।

ग्वारीघाट कॉलेज में स्थिति
ग्वारीघाट आयुर्वेद कॉलेज में बीएएमएस की 75 सीटें है। करीब 35 टीचिंग स्टाफ है। इसमें अभी चार प्रोफेसर है। जानकारों की मानें तो प्रोफेसर की संख्या कम से कम 14 होना चाहिए। 10-12 एसोसिएट प्रोफेसर है, जबकि ये 18 होना चाहिए। एमडी डिग्रीधारी 10 मेडिकल ऑफिसर्स को लेक्चरर के पद के विरुद्ध रखकर कॉलेज की शिक्षण व्यवस्था को सहारा दिया गया है।
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