जबलपुर

बच्चों में सीखने की प्रबल क्षमता, सही और गलत का फर्क बताना पैरेंट्स की जिम्मेदारी

बच्चों में सीखने की प्रबल क्षमता, सही और गलत का फर्क बताना पैरेंट्स की जिम्मेदारी

जबलपुरJun 04, 2019 / 08:04 pm

tarunendra chauhan

children

जबलपुर. बालमन जैसा देखता और सुनता है, उसे ग्रहण कर लेता है, उसमें अच्छे और बुरे में फर्क करने की क्षमता नहीं होती है, लेकिन ग्रहण क्षमता बड़ो से तीव्र होती है। इसलिए बच्चों को अच्छा वातावरण प्रदान करने की जिम्मेदारी माता-पिता की हो जाती है। बच्चों को जैसा दिखाएंगे और सुनाएंगे वे उसी अनुरूप सीखेंगे।

टीवी की बजाय किताबें पढऩे करें प्रेरित
बच्चों को टीवी दिखाने की बजाय पैरेंट्स का यह प्रयास होना चाहिए कि उन्हे अधिक से अधिक समय दें।, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। यदि आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो बच्चों को टीवी और मोबाइल की बजाया किताब पढऩे की आदत डलवाएं साथ ही हर दिन कोई कहनी पढकऱ सुनाएं, तभी बच्चों का सही दिशा में विकास हो पाएगा।

बच्चों को नियमित दें समय
वर्तमान समय में पैरेंट्स अपने काम के चक्कर में बच्चों से दूर होते जा रहे हैं। घर आने पर बच्चों को समय देने की बजाय मोबाइल या फिर लैपटॉप में जुट जाते हैं। बच्चों की जिज्ञासा का समाधान करने का समय नहीं देते, जिसके कारण बच्चे एकाकी होने लगते हैं। इसलिए पैरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों को नियमित समय दें और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करें, ताकि चंचल बालमन को सही दिशा मिल सके।

बच्चों को मोबाइल से रखे दूर
मनोचिकित्सक डॉ. गुरमीत सिंह कहते हैं कि आजकल पैरेंट्स बच्चों से बचना चाहते हैं, इसके लिए बच्चों को टीवी देखने बैठा देते हैं या फिर मोबाइल में गेम खेलने की आजादी दे देते हैं। इससे पैरेंट्स तो फ्री हो जाते हैं, लेकिन बच्चे सही, गलत का अंतर नहीं कर पाने के कारण कई बार गलत आदतें सीख जाते हैं, जिससे पैरेंट्स को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बच्चों को मोबाइल से दूर रखें और खुद उनके साथ समय बिताएं।

कार्टून कैरेक्टर हॉवी
बच्चों के मानस पटल पर कार्टून कैरेक्टर हॉवी हो रहे हैं। इसका कारण है प्रतिदिन ज्यादा टीवी देखना। ज्यादा समय कार्टून देखने वाले बच्चे अपने पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह करने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए कोई बच्चा यदि छोटा भीम देखता है तो वह उसी की तरह भलाई और कर्मशील बनने प्रयास करेगा। वहीं डोरेमोन और सिनचेन कार्टून देखेगा तो वह गलत तरीके सीखेगा और हर बात पर शर्त रखने और हर काम दूसरे के सहारे पूरा करने की आदत सीख जाएगा। इसलिए बच्चों को मनोरंजन के लिए टीवी दिखाएं, लेकिन बीच-बीच में स्वयं भी देखते रहें कि बच्चे क्या देख रहे हैं।

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