जबलपुर

मौसम की बेेरुखी, भादों में भी रहा प्यासा, 31 दिन में सिर्फ 6.05 इंच वर्षा

मौसम की बेेरुखी, भादों में भी रहा प्यासा, 31 दिन में सिर्फ 6.05 इंच वर्षा
 

जबलपुरSep 24, 2021 / 01:54 pm

Lalit kostha

weather in ajmer

जबलपुर। जल्दी दस्तक देकर जेठ में अच्छी बौछार करके लौटे मानसूनी बादल दोबारा वह गति नहीं पकड़ सके। आषाढ़ में रुक-रुक कर कुछ बरसे काले बादलों पूरे श्रावण में मास में झड़ी के लिए तरसा दिया। भादों में भी बारिश वाले बादल मेहरबान नहीं हुए। भादो में 31 दिनों में महज 6.05 इंच (153.6 मिमी) बारिश हुई। अब इस साल मानूसनी बारिश का कोटा पूरा होने की उम्मीद भी कम हो गई है। वर्षा पिछले साल से भी काफी पिछड़ गई है। शहर में गुरुवार को अधिकतम तापमान 31.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।

पिछले साल से 377.3 मिमी कम वर्षा
पिछले वर्ष 23 अगस्त से 22 सितंबर के बीच काले बादल झूमकर बरसे थे। तब 249.6 मिमी बारिश दर्ज हुई थी। इसके मुकाबले वर्ष 2021 में लगभग आधी बरसात हुई है। बारिश का आंकड़ा सावन में हुई बूंदाबांदी के करीब बना हुआ है। इससे आषाढ़ और सावन के सूखे की भादो में भरपाई की उम्मीद भी कम हो गई है। अभी तक की स्थिति में पिछले वर्ष (992.1 मिमी) के मुकाबले इस वर्ष (625.4 मिमी) लगभग 366.7 मिमी वर्षा कम हुई है।

 

नए सिस्टम से उम्मीद
शहर में सामान्य से कम बारिश होने से तापमान भी प्रभावित है। भादों के माह के समाप्ति के करीब पहुंचने के साथ धीरे-धीरे नीचे लुढकऩे वाला पारा बार-बार उछलकर ऊपर आ रहा है।
झमाझम बारिश और झड़़ी नहीं लगने से मौसम में नमी नहीं आ पा रही है। बारिश बंद होते ही उमस-गर्मी महसूस होने लगती है। राहत की बात ये है कि जल्दी आने वाले मानसून की इस बार विदाई देर से होगी। अभी दो नए सिस्टम बनने की संभावना है। इससे अच्छी बारिश की खेप मिलने पर सावन भादों में अधूरा बारिश के कोटे का कुछ भाग अश्विन माह के शुरुआती दिनों में पूरा हो सकता है।

बरगी डैम के दो गेट बंद, सात से निकासी
– 422.65 मीटर मौजूदा जल स्तर
– 422.76 मीटर अधिकतम स्तर
– 2 गेट बंद किए शाम 7 बजे
– 5 गेट खुले हैं आधा मीटर
– 483 क्यूमेक पानी की आवक
– 560 क्यूमेक पानी की निकासी


बरगी डैम लबालब है, कैचमेंट इलाकों में गुरुवार को बारिश थमने के बाद सुबह 9 बजे दो गेट बंद कर दिए गए। डैम के 7 गेटों से पानी की निकासी जारी है। बिजली उत्पादन के लिए पावर हाउस में भी लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। इससे नर्मदा का जल स्तर बढ़ा है। डैम से पानी छोडऩे से नर्मदा का जल स्तर बढ़ा होने से ग्वारीघाट, तिलवाराघाट के कई मंदिर डूबे हुए हैं। भेड़ाघाट में भी नर्मदा का जल स्तर काफी बढ़ा हुआ है।

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