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bakra chori ; बकरा चुराया ‘मयाराम’ ने, पुलिस ने ‘सीताराम’ को भेज दिया जेल

locationजबलपुरPublished: Aug 20, 2019 02:06:51 pm

Submitted by:

Lalit kostha

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बकरा चुराया ‘मयाराम’ ने, पुलिस ने ‘सीताराम’ को भेज दिया जेल

बकरा चुराया ‘मयाराम’ ने, पुलिस ने ‘सीताराम’ को भेज दिया जेल

 

जबलपुर। पुलिस अक्सर अपनी नाकामी छिपाने या अदालत की कार्रवाई से बचने के लिए बेगुनाहों को आरोपी बनाकर जेल में डलवा देती है। कुछ तो उसके सितम चुपचाप झेल जाते हैं, वहीं कुछ उसके खिलाफ खड़े होकर जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद कर देते हैं। ऐसा ही मामला एक बकरा चोरी का सामने आया है। जिसमें मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि बेगुनाह को 22 साल पहले हुई बकरा चोरी के मामले में जेल कैसे भेज दिया गया? जस्टिस जेके माहेश्वरी व जस्टिस अंजुली पालो की डिवीजन बेंच ने पूछा कि इसके लिए सरकार को 20 लाख रुपए हर्जाना चुकाने का आदेश क्यों न दिया जाए? कोर्ट ने बुरहानपुर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की रिपोर्ट देखने के बाद सरकार से स्पष्टीकरण मांगा। अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।

फल बेचने वाले को बकरा चोर बताकर भेज दिया जेल
क्यों न दें हर्जाना चुकाने का आदेश
हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा…
याचिकाकर्ता का आरोप-निचली अदालत ने भी नहीं सुनी गुहार

जबरन भेज दिया जेल

बड़वा, जिला बुरहानपुर निवासी रिंकू बाई वर्मा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा कि 1997 में मयाराम सीताराम तंवर पर बकरा चोरी का प्रकरण दर्ज किया गया था। हाजिर न होने के चलते कोर्ट ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। लेकिन बुरहानपुर सिटी कोतवाली पुलिस ने 8 मई 2019 को याचिकाकर्ता के पति मयाराम सीताराम वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसने पुलिस से बार-बार गुहार लगाई कि वह आरोपी मयाराम सीताराम तंवर नहीं है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।


बुरहानपुर डीजे ने दी रिपोर्ट

गत सुनवाई पर बुरहानपुर डीजे को मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। रिपोर्ट में बताया गया कि पुलिस ने मयाराम सीताराम तंवर की जगह मयाराम सीताराम वर्मा को जेल भेज दिया था। पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज मयाराम सीताराम तंवर के शारीरिक निशान मयाराम सीताराम वर्मा के शारीरिक निशान से नहीें मिलते। अधिवक्ता हितेश बिहरानी, रविशंकर यादव व जोगेन्द्र तिवारी ने तर्क दिया कि रिपोर्ट से साफ है कि पीडि़त को दूसरे व्यक्ति की जगह जेल भेजा गया था। बुरहानपुर सीजेएम कोर्ट ने पीडि़त ने गुहार लगाई थी कि वह आरोपी मयाराम नहीं है। लेकिन उसे 81 दिन तक जमानत न मिलने के चलते जेल में रहना पड़ा। इसके एवज में उसे 20 लाख रुपए हर्जाना दिया जाए।

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