आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के बौदि्धक विकास एवं मनोरंजन के लिए खिलौना बैंक की स्थापन की गई थी। इसके लिए जनसहयोग से खिलौना भी एकत्रित किए गए। जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ आमजनों ने भी खिलौने बैंक के लिए दान किए। इसमें कई तरह के छोटे एवं बडे़ खिलौने शामिल हैं। विभागीय अधिकारियों ने स्टाफ को इनका वितरण करने निर्देश दिया था, लेकिन वे इनका आवंटन नहीं कर पाए।
2 हजार 483 आंगनबाड़ी केंद्र
जिले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 2 हजार 483 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें एक लाख के करीब बच्चें पंजीकृत हैं। इन केंद्रों में बच्चों को पोषण आहार के अलावा शैक्षणिक और मानसिक विकास के लिए गतिविधियां की जाती हैं। इस काम में खिलौनों की मदद ली जा रही है। इसके लिए प्रशासन ने खिलौना बैंक बनाने की पहल की थी। इसमें एक बैंक कलेक्टर कार्यालय तो दूसरा सिविक सेंटर में जेडीए की बिल्डिंग में बनाया गया है।
कई लोग सीधे दे आए चीजें
अभी विभाग की तरफ से खिलौना बैंक का ताला खिलौने वितरण के लिए नहीं खोला गया। जबकि यह काम जैसे ही खिलौने एकत्रित हुए थे, तभी प्रारंभ करना था। उसके बाद आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। फिर जो खिलौने इन बैंकों में रखे थे, वे बंट नहीं पाए। ऐसे में जो भी सुविधाएं इन आंगनबाड़ी केंद्रों में थी, उन्हीं से काम चल रहा है। सूत्रों ने बताया कि वितरण के लिए कर्मचारियां की ड्यूटी लगी थी उन्होंने यह नहीं किया।

अभी पर्याप्त नहीं है खिलौने
अभी भी शहर और ग्रामीण इलाकों में जितने आंगनबाड़ी केंद्र हैं, उस लिहाज से इन बैंकों में खिलौने नहीं आए हैं। इसलिए फिर से अभियान चलाकर जनसहयोग से नए खिलौने एकत्रित किए जाएंगे। महिला एवं लि विकास विभाग ने इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी है। इसमें जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा।
नहीं मिले खिलौने
इस बीच शहर की कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों का मुआयना किया। इनमें केंद्र नंबर 51, 77 औ 95 सहित अन्य जगहों के केंद्र शामिल थे। वहां बच्चों के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मिले लेकिन बैंकों से जो नए खिलौने आने थे, वे नहीं मिले। इनमें केंद्रों में बच्चे पहले से मौजूद खिलौनों से खेलते हुए मिले।
खिलौना बैंकों में काफी संख्या में खिलौने एकत्रित किए गए हैं। आचार संहिता के कारण यह काम रुका था, जल्द वितरण प्रारंभ किया जाएगा।
एमएल मेहरा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग