प्रदेश शासन के द्वारा स्वरोजगार योजनाओं के लिए अभी दो तरह की योजनाओं का संचालन किया जाता है। इसमें मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना। कुछ समय पहले किसानों को भी उद्यमी बनाने के लिए मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना प्रारंभ की गई है। पहले के नियमों में एेसी कोई बात सामने नहीं आती थी कि जिन आवेदकों के परिवार की पृष्ठभूमि व्यापारिक या औद्योगिक क्षेत्र की हो तो उसे ऋण लेने में कोई बड़ा व्यवधान आएगा।
जिले को हजारों का लक्ष्य
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में १२ सौ प्रकरण का लक्ष्य है। अभी तक १००० हजार प्रकरण स्वीकृत हो चुके हैं। ८०० आवेदकों को ऋण का वितरण हो चुका है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में ५५ का लक्ष्य मिला था। ६० प्रकरण स्वीकृत हो गए हैं। वहीं ५५ लोगों को ऋण का वितरण हो चुका है।
क्या होगा असर
नए नियम से जिलों को मिलने वाले लक्ष्यों पर असर हो सकता है। यानी पहले की तुलना में कम संख्या में आवेदक आएंगे। जानकार बताते हैं कि भले ही सरकार की मंशा नए उद्यमी या व्यापारी तैयार करना हो, लेकिन कई लोग एेसे हैं जिनकी पृष्ठभूमि उद्योग या व्यापार की है। यही नहीं वह आयकर के साथ रिटर्न भी जमा करते हैं। सूत्रों ने बताया कि नया नियम प्रभावी हो चुका है, लेकिन एेसे प्रकरण जो बैंक को प्रेषित किए जा चुके हैं वह इससे प्रभावित नहीं होंगे। यदि आवेदन जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के पास हैं तो उन्हें अपने आवेदन में संशोधन करना होगा।
अब दो करोड़ तक ऋण
उद्यमी और स्वरोजगार योजना में परियोजना के लिए अब ज्यादा ऋण मिल सकेगा। पहले युवा उद्यमी योजना में परियोजना लागत का १० लाख से १ करोड़ तक ऋण मिलता था। अब यह १० लाख से २ करोड़ रुपए तक कर दिया गया है। स्वरोजगार योजना में २० हजार से १० लाख रुपए तक ऋण मिलता था। अब ५० हजार से १० लाख कर दिया गया है।
परिवार भी परिभाषित
यदि आवेदक अविवाहित है तो परिवार में माता-पिता एवं अविवाहित तथा आश्रित भाई और बहन शामिल हैं। वहीं विवाहित होने पर पति-पत्नि और आश्रित बच्चे परिवार कहलाएगा।
स्वरोजगार योजनाओं में पात्रता संबंधी नए प्रावधान से लक्ष्यों की पूर्ति में मुश्किल हो सकती है। विभाग के प्रमुख सचिव को अद्र्धशासकीय पत्र लिखकर नियम से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयां बताई गई हैं।
– आरसी कुरील, संयुक्त संचालक उद्योग परिक्षेत्रीय कार्यालय