जबलपुर

ACCIDENT-बरेला हादसे ने ताजा किए चरगवां और गोसलपुर पीडि़तों के जख्म

लगातार हो रहे हादसों से नहीं लिया सबक,साल भर में तीसरा बड़ा हादसा

जबलपुरFeb 21, 2018 / 11:18 pm

santosh singh

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जबलपुर. जिले में लगातार हो रहे बड़े हादसों से प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। हर बड़े हादसे के बाद चंद दिनों तक कार्रवाई करने वाले जिम्मेदार अगले हादसे की प्रतीक्षा में खामोश हो जाते हैं। बुधवार को बरेला में हुआ हादसा साल भर में तीसरा बड़ा हादसा है। इस हादसे ने पिछले साल मार्च व मई में चरगवां रोड पर हुए दो बड़े हादसों के जख्म ताजा कर दिए। इन हादसों की वजह भले ही अलग-अलग रही हो, लेकिन प्रशासन की लापरवाही इन हादसों पर भारी पड़ी। हादसों में जान गंवाने वाले कभी बेबस मजदूर होते हैं तो कभी मासूम बच्चे और आम जिंदगियां होती हैं।

चरगवां हादसा-1 : 27 मार्च, 2017
चरगवां रोड पर कमतिया व नुनपुर गांव के बीच मजदूरों को ले जा जा रहा मिनी ट्रक पलट गया। हादसे में आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि तीन ने अलग-अलग अस्पतालों में और चार ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था। 49 मजदूर घायल हुए थे।

क्या लिया सबक : प्रतिबंधित होने के बावजूद लोडिंग वाहनों में मजदूरों को ले जाने का सिलसिला जारी है।
चरगवां हादसा-2 : 11 मई, 2017

वन विभाग का पिकअप वाहन 29 मजदूरों को लेकर जबलपुर से चरगवां रोड पर पुलिया से टकरा गया। हादसे में 11 मजदूरों की मौके पर मौत हो गई और 15 घायल हुए थे।

क्या लिया सबक : सरकारी वाहनों में मजदूरों की ओवरलोडिंग जारी है। चरगवां रोड पर कई गांवों के ग्रामीण लोडिंग वाहन में ही सफर करने को मजबूर हैं।

गोसलपुर हादसा-23 अक्टूबर 2015
दशहरा चल समारोह के दौरान तेज रफ्तार मिनी ट्रक के घुसने से सात लोगों की मौके पर मौत हुई थी, जबकि 13 लोग घायल हुए थे। हालात सामान्य होने में दो दिन लगे थे।

क्या लिया सबक : ग्रामीण निकायों समेत शहर में नो-एंट्री में वाहन बेरोकटोक प्रवेश कर रहे हैं। आए दिन कोई न कोई हादसा होता रहता है। नो-एंट्री में वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए अब तक नियम नहीं बन सका है।

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