scriptआखिर क्या है, लाल बहादुर शास्त्री की मौत का राज? | The unsolved mystery of Lal Bahadur Shastri s death | Patrika News

आखिर क्या है, लाल बहादुर शास्त्री की मौत का राज?

Published: Jan 11, 2016 03:33:00 pm

Submitted by:

Dikshant Sharma

 लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया था, जिसने उन्हें अमर कर दिया।

लखनऊ. पिछले 50 सालों से हर 11 जनवरी को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्य तिथि के रूप में मनाई जाती रही है। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था। 50 साल बीत जाने के बाद भी उनकी मौत का वजह एक राज ही है। उन्होंने जय जवान-जय किसान का नारा दिया था, जिसने उन्हें अमर कर दिया।

परिवार ने उठाए कई सवाल
शास्त्रीजी की मृत्यु को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाते रहे हैं। उनके परिवार के लोगों की तरफ से भी आरोप लगाए जाते रहे है कि शास्त्रीजी की मृत्यु हार्टअटैक से नहीं, बल्कि जहर देने से ही हुई।

कुछ समय पूर्व लाल बहादुर के पुत्र अनिल शास्त्री ने कहा था कि उस वक्त तो वह सिर्फ 17 साल के थे। लेकिन उनकी मां ने बताया था कि जब शास्त्री जी का पार्थिव शरीर दिल्ली आया तो उस वक्त उनका चेहरा नीला पड़ गया था और आंख के पास सफेद धब्बे पड़ गए थे। उन्होंने यह खुद भी देखा था। इसके बावजूद उस वक्त ना तो कोई जांच कमीशन बैठाया गया और ना ही रूस में कोई पोस्टमार्ट्म हुआ था।

पहली इन्क्वायरी राज नारायण ने करवायी थी, जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गयी। मजे की बात यह कि इण्डियन पार्लियामेंट्री लाइब्रेरी में आज भी इसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।

2009 में जब यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार की ओर से यह जवाब दिया कि शास्त्रीजी के प्राइवेट डॉक्टर आरएन चुघ और कुछ रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जांच की थी, लेकिन सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में पीएम ऑफिस से जब इसकी जानकारी मांगी गयी तो उसने भी अपनी मजबूरी जतायी।

आरटीआई से भी नहीं मिली जानकारी

शास्त्रीजी की मौत में संभावित साजिश की पोल एक पत्रिका द्वारा 2009 में खोली गयी। 2009 में, जब एक अंग्रेजी पुस्तक CIA s Eye on South Asia के लेखक अनुज धर ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से यह कहा गया कि शास्त्रीजी की मृत्यु के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से हमारे देश के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध खराब हो सकते हैं तथा इस रहस्य पर से पर्दा उठते ही देश में उथल-पुथल मचने के अलावा संसदीय विशेषधिकारों को ठेस भी पहुंच सकती है। ये तमाम कारण हैं, जिससे इस सवाल का जवाब नहीं दिया जा सकता।”

बताते चलें कि सुभाष चन्द्र बोसे से जुडी फाइलों के सार्वजानिक होने से यह भी पता चला है कि नेताजी 1966 तक जिंदा थे। भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खां के बीच 11 जनवरी 1966 को समझौता हुआ था। समझौते के कुछ ही घंटों बाद शास्त्री जी की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। शास्त्रीजी की मौत किन हालात में हुई यह बात आज भी रहस्य बनी हुई है।
इस पर पीएमओ की ओर से इस तरह का जवाब अपने आप में ही कई सवाल खड़ा करता है। एक बड़ा है कि इसे राजनीतिक मुद्दा न बना कर क्या शास्त्री परिवार और अन्य देशवासी कभी लाल बहादुर शास्त्री की मौत का राज जान पाएंगे?

ट्रेंडिंग वीडियो