इस शहर में आए खूबसूरत रसियन बर्ड्स, मनमोह लेगा पक्षियों का ये वीडियो, आप भी देखें
साइबेरिया से आए मेहमानों से गुलजार हुआ नर्मदा तट, खूबसूरत हुआ नजारा
Updated: 03 Nov 2020, 10:51 AM IST
जबलपुर। इन दिनों ग्वारीघाट का नजारा थोड़ा अलग दिखता है। सुबह से शाम तक घाट के दर्शन करने वाले लोगों की नजरे चहचहांती आवाजों पर टिकी रहती हैं। हाथों में मोबाइल और आंखों में सिर्फ उत्सुकता नजर आती है। उन्हें बस इस बात का इंतजार रहता है कि कब आखिर वह पक्षियों का झुंड अठखेलियां करते कब नजर आएगा। जैसे ही पक्षियों की अठखेलियों के नजारे दिखाई पड़ते हैं, सभी फटाफट मोबाइल और कैमरा में इस खूबसूरत पलों को कैद करने में लग जाते हैं। दरअसल ग्वारीघाट में ठंड के सीजन में एक खास तरह की पक्षियों की प्रजाति बड़ी संख्या में अठखेलियां करती नजर आती हैं, जो लोगों के बीच उत्सुकता का कारण बनी रहती है। ये पक्षी सात समंदर पार रूस के साइबेरिया से आए हैं, जिन्हें साइबेरियन पक्षी भी कहा जाता है।
बोटिंग, बर्ड्स और सेल्फी
ग्वारीघाट में इन दिनों समुद्री पक्षी साइबेरियन बर्ड सी गुल्स का आगमन होने लगा है। इनकी संख्या अभी कम है, लेकिन कुछ ही दिनों बड़ी संख्या में और पक्षी यहां पर आ जाएंगे। ग्वारीघाट में लोग इन्हें लुभाने के लिए मुरमुरा और बेसन के सेव खिलाते हैं, तो उनका झुंड चहचहाता हुआ नावों के करीब आ जाता है। बोटिंग करने वाले बड्र्स के साथ सेल्फी लेते हैं। कुछ लोग वीडियो भी बना रहे हैं। बोटिंग नहीं करने वाले घाट पर ही इन्हें बुला लेते हैं तो ये बिना हिचक के पास चले आते हैं। जो कि बहुत ही सुंदर दृश्य होता है।

जबलपुर आते हैं ये प्रवासी पक्षी
जबलपुर की प्रकृति ऐसी है कि कई देशों से प्रवासी पक्षी यहां आकर अपना डेरा डाल लेते हैं। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर दिग्विजय सिंह यादव के अनुसार यूरोप का रेड ब्रेस्टेड फ्लाई कैचर, उत्तर भारत का ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, कजाकिस्तान, पाकिस्तान की ओर से आने वाले वॉब्लर्स, यूरोपियन, हिमालय की तराई के वर्डेटर फ्लाई कैचर, ड्रे हेडेड केनरी फ्लाई कैचर, अल्ट्रा मरीन फ्लाई कैचर का शहर के पेड़ों पर डेरा है। भारतीय प्रवासी पक्षियों में रेड केस्टेड कॉमन कोचर, टफटेड ग्रे ब्लैक गूज, गल बर्ड भी जलस्रोतों के आस-पास डेरा डाले हुए हैं। यूरोपियन ग्रेटर्स स्पॉटेड ईगल, भारतीय प्रजाति का कॉमन कैस्टल, लॉन्ग लेग बजार्ड भी देखे जा रह हैं। उत्तर भारत का स्टैफी ईगल जो राजस्थान और गुजरात में ज्यादा दिखाई देते थे, करीब तीन साल से जबलपुर का रुख कर रहे हैं।

इसलिए आते हैं प्रवासी पक्षी
पक्षियों के जानकार हरेन्द्र शर्मा बताते हैं कि रूस का साइबेरिया ठंड के लिए नर्क कहा जाता है। साइबेरिया में अक्टूबर से मार्च तक तेज ठंड बढ़ जाती है और वहां माइनस 40 से 50 डिग्री तक तापमान चला जाता है। जिससे इन पक्षियों को वहां अधिक परेशानी होने लगती है। इस दौरान ये अपनी जान बचाने के लिए दूसरा ठिकाना ढूंडते हैं। नवंबर से लेकर फरवरी तक पड़ोसी देशों की यात्रा करते हुए ये भारत पहुंचते हैं। जहां अलग-अलग शहरों में ये बसेरा डालते हैं। जबलपुर में नर्मदा तट में इन्हे खाने पीने की जरूरत भी पूरी हो जाती है और स्थान भी ठंडा रहता है। इसलिए ये यहां प्रतिवर्ष आते हैं।
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