news facts- रादुविवि के अंतर्गत अंतरमहाविद्यालयीन युवा उत्सव के दूसरे दिन ड्रामा और साहित्यिक प्रतियोगिताएं
सच्चे प्रेम के आगे झुकी मृत्यु, छलका काठ की गुडिय़ा का दर्द
एक अन्य प्रस्तुति महामाई नाटक के हर पात्र तारीफ के काबिल रहे। एक्टिंग को बेहतर अंदाज में निभाया गया। मृत्यु भी सच्चे और अच्छे प्रेम के आगे झुक जाती है। नाटक मृत्यु की देवी महामाई और उनके दत्तकपुत्र की कहानी है। इसमें दत्तकपुत्र संजीव महान चिकित्सक रहता है, वह महामाई की स्वीकार्यता के बाद ही किसी का इलाज करता है। एक बार वह राजकुमारी के प्रेम में मां की आज्ञा के विरुद्ध इलाज करता है। मृत्यु की देवी और बेटे के विरुद्ध युद्ध छिड़ जाता है। अंत में जीत सच्चे प्रेम की होती है। कार्यक्रम में प्रिंसिपल डॉ. शशिबाला श्रीवास्तव, रादुविवि की ओर से डॉ. विवेक मिश्रा, डॉ. किरण सिंह, डॉ. मीना कुमार, डॉ. मधुलिका श्रीवास्तव, डॉ. लीना राय, डॉ. साधना केशरवानी उपस्थित रहीं।
यूटीडी भी उतरा मैदान में
हर साल तमाम कॉलेज इस कॉम्पीटिशन का हिस्सा बनते रहे हैं, लेकिन इस बार रादुविवि का यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट (यूटीडी) भी प्रतियोगिता का हिस्सा बना। डॉ. आरके गुप्ता ने बताया इस बार यूटीडी के छात्रों ने रुचि दिखाई, इसलिए टीम मैदान में उतरी है। रादुविवि की टीम ने रानी दुर्गावती और आसफ खां की जंग पर आधारित शौर्य गाथा का मंचन किया।
सैटअप से निखरा अभिनय
नाटक में अभिनय के अलावा मेकअप, सैटअप, परिधान और लाइटिंग का भी खेल होता है। युवा उत्सव के लेवल को ध्यान रखते हुए सभी प्रस्तुतियों में सैटअप से लेकर लाइटिंग का विशेष ध्यान रखा गया। वेशभूषा से लेकर मेकअप किरदार को जीवंत कर रहे थे।