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जबलपुर में इसलिए नहीं मिल रहे अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन, बड़ी वजह आई सामने

locationजबलपुरPublished: Apr 30, 2021 02:58:19 pm

Submitted by:

Lalit kostha

जबलपुर में इसलिए नहीं मिल रहे अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन, बड़ी वजह आई सामने
 

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beds, oxygen and ventilator not available in jabalpur

जबलपुर। कोरोना की दूसरी लहर में शहर बड़े कोविड उपचार केंद्र के रूप में उभरा है। शहर पर आसपास के लगभग बीस जिलों के गम्भीर कोरोना मरीज के उपचार भार पहले से है। अब प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों के संक्रमण से ज्यादा प्रभावित वाले शहर के कोरोना मरीज भी उपचार के लिए आ रहे हैं। इससे कोरोना काल में गम्भीर मरीजों के उपचार में शहर के अस्पतालों की भूमिका बढ़ी है। साथ ही साथ दूसरे सम्भाग और राज्यों से उपचार के लिए आने वाले संक्रमित की संख्या बढऩे से प्रमुख अस्पतालों में भर्ती होने के लिए मारामारी बढ़ गई है। जिले के मरीज वेंटीलेटर और आइसीयू के खाली बेड के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं।

मेडिकल कॉलेज व प्रमुख निजी अस्पतालों में दूसरे सम्भाग से भी रेफर
शहर में पड़ोसी राज्य से आकर भर्ती हो रहे कोरोना मरीज, बेड की बढ़ी मारामारी

आइसीयू ढूंढ़ते हुए बाहर से आ रहे मरीज
कोरोना मरीजों की हालत गम्भीर होने और सांस लेने में परेशानी बढऩे पर वेंटीलेटर-आइसीयू बेड की आवश्यकता होती है। पड़ोसी राज्यों में संक्रमण ज्यादा फैला है। आसपास के कई जिलों में अस्पतालों में आइसीयू बेड नहीं है। ऐसे में संक्रमित का स्वास्थ्य बिगडऩे पर डॉक्टर उन्हें आइसीयू बेड वाले अस्पताल में भर्ती होने की नसीहत दे रहे हैं। शहर में उपचार के लिए बाहर से लगातार आ रहे गम्भीर मरीजों के कारण आइसीयू और एचडीयू बेड कम पड़ रहे हैं।

 

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इन स्थानों से आकर भर्ती हो रहे मरीज
शहर में उपचार के लिए नागपुर, रायपुर, भिलाई, कानपुर, मनेन्द्रगढ़, अंबिकापुर, बांदा तक से गम्भीर कोरोना मरीज आ रहे है। इन शहरों मं संक्रमण ज्यादा फैलने के कारण बिस्तरों की कमी है। इंदौर से कुछ मरीज भी आकर शहर में उपचार करा रहे है। विंध्य और बुंदेलखंड से गम्भीर कोरोना मरीज शहर रेफर किए जा रहे है। बालाघाट, छिंदवाड़ा से लेकर शहडोल से मरीज शहर भर्ती होने के लिए आ रहे है। नर्मदापुरम सम्भाग के कुछ गम्भीर मरीज भी शहर के अस्पतालों में भर्ती हो रहे है। इतने बड़े क्षेत्र को कवर करने के साथ ही जिले में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढऩे के कारण शहर में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संसाधन कम पडऩे लगे है। प्रमुख अस्पतालों से लेकर आइसीयू में मरीजों की भर्ती करने के लिए खाली बिस्तर ढूंढऩे पड़ रहे हैं।

केस -1
बड़ा फुहारा निवासी एक व्यक्तिके इंदौर में रहने वाले परिजन को कोरोना हुआ। वहां अस्पताल में खाली बिस्तर नहीं मिला, तो परिजन ने जबलपुर बुलाया। ज्यादा शुल्क पर एक निजी अस्पताल में भर्ती कराकर उपचार कराया।

केस- 2

रायपुर निवासी एक परिवार के पांच लोग एक साथ कोरोना संक्रमित हो गए। वहां बिस्तर खाली नहीं होने से अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया। एक सदस्य की स्थिति बिगड़ी, तो परिवार एक निजी अस्पताल से सम्पर्क करके उपचार के लिए शहर आ गया।

केस-3
कानपुर निवासी एक व्यक्तिको कोरोना हुआ। सीटी स्कोर ज्यादा होने के बावजूद वहां अस्पतालों में जगह नहीं मिली। पीडि़त को परिजन कार से लेकर शहर तक आए। अपने परिचित के जरिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया।

शहर में स्थिति
01 सरकारी मेडिकल कॉलेज, पूरी तरह मरीजों से पैक।
57 निजी अस्पताल में कोविड मरीज का उपचार हो रहा है।
17 प्रमुख निजी अस्पताल में 15 दिन से बेड खाली नहीं हैं।
08 नए अस्पताल, जिन्हें हाल में कोविड उपचार की अनुमति मिली है, उनमें औसतन 80 प्रतिशत बेड खाली हैं।

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