scriptदेश में जानवरों का सबसे अच्छा अस्पताल कहां है, जानने के लिए पढ़ें ये खबर | bharat ka sabse bada hospital konsa hai for animal | Patrika News

देश में जानवरों का सबसे अच्छा अस्पताल कहां है, जानने के लिए पढ़ें ये खबर

locationजबलपुरPublished: Oct 04, 2018 10:21:37 am

Submitted by:

Lalit kostha

देश में जानवरों का सबसे अच्छा अस्पताल कहां है, जानने के लिए पढ़ें ये खबर
 

bharat ka sabse bada hospital konsa hai for animal

bharat ka sabse bada hospital konsa hai for animal

जबलपुर. प्रदेश में वन्यजीवों की संख्या तेजी से कम हो रही है। इससे पर्यावरण का संतुलन भी प्रभावित हो रहा है। वन्यप्राणियों की कई प्रजातियां तो विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं। वेटरनरी विवि (वीयू) के विशेषज्ञ वन्य प्राणियों को बचाने की पहल कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पृथ्वी पर मानव का अस्तित्व पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर है। इसके लिए वन्यजीवों का पृथ्वी पर बने रहना आवश्यक है।
news facts-

विश्व पशु दिवस: कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर
वीयू की पहल, वन्यजीवों का भी हो रहा अत्याधुनिक इलाज

घट रही संख्या- बारहसिंगा को राज्य पशु का दर्जा दिया गया है। इसके बावजूद इसकी संख्या तेजी से कम हो रही है। तेंदुआ, बाघ, भेडिय़ा, तीतर, घडिय़ाल, कोबरा, किंग कोबरा, मोर, गिलहरी, गिद्ध का शिकार करने से इनकी संख्या में भी कमी आ रही है। इसे देखते हुए इन्हें शेड्यूल वन कैटेगरी में रखा गया है।
अब नहीं पालते जीव- बढ़ती आबादी के कारण भी जानवर पालना सीमित हो गया है। पहले लोग बकरी, गाय, खरगोश, मुर्गा, तोता पाला करते थे। जगह की कमी और आर्थिक अभाव के कारण भी लोगों ने जानवरों को पालना बंद कर दिया है। इससे भी प्रभाव पड़ा है।
मादा हाथी को दिया नया जीवन
कान्हा टाइगर रिजर्व में प्रसव के दौरान हाथी की बच्चेदानी में बच्चा फंस गया। हालत गंभीर होने की सूचना पर वन्यप्राणी विशेषज्ञों का दल कान्हा टाइगर रिजर्व भेजा गया। डॉक्टरों ने इलाज कर हाथी को नया जीवन दिया।
तोते का पैर टूटा
करीब दो महीने पहले आंधी-बारिश के दौरान पेड़ से गिरने से एक तोते और चिडिय़ा की टांग टूट गई थी। सडक़ से गुजर रहा एक राहगीर दोनों पक्षियों को लेकर वेटरनरी हॉस्पिटल पहुंचा। चिकित्सकों की टीम ने दोनों के पैर में रॉड डालकर उडऩे लायक बनाया।

डॉग का उपचार
चाइनीज ब्रीड के एक डॉग की आखों के बाल रेटिना में लगने से अलसर हो गया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने कार्निया का ऑपरेशन कर आंख में लेंस प्रत्यारोपण किया।
वन्यजीवों की संख्या कम होना पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा है। इसका प्रमुख कारण तेजी से बढ़ती आबादी और सिमटता वन क्षेत्र है।
– डॉ. एबी श्रीवास्तव, वन्य प्राणी विशेषज्ञ

लोगों में जानवरों के प्रति प्रेम कम हो रहा है। रास्ते में यदि कहीं कोई घायल पक्षी, जानवर मिले तो उसे अवश्य अस्पताल ले जाएं।
-डॉ. अपरा शाही, चिकित्सक, वेटरनरी हॉस्टिल
bharat ka sabse bada hospital konsa hai, hospital for <a  href=
animal , animal hospital india, veterinary hospital in india, top veterinary universities in india” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/09/09/2_5_3511300-m.jpg”>

और यहां जागरुकता में वन विभाग ही सुस्त
वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह में लोगों को जागरूक करने में वन विभाग ही सुस्त है। सप्ताह में तीन बीत जाने के बाद भी जागरुकता के कार्यक्रम शुरू नहीं हुए। जबकि, वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल ने सभी वनमंडलों में कार्यक्रम भेजा है। जानकारी के अनुसार इसके लिए वनमंडल स्तर पर 40 हजार रुपए का बजट प्राप्त हुआ है। सैकड़ों बच्चों की भागीदारी वाले कार्यक्रम के अनुसार बजट कम बताया जा रहा है। बजट के अनुसार कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जा रही है। बजट का आवंटन नहीं होने से शुरुआत नहीं हो सकी है। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के रेंजों की अपेक्षा रेंज मुख्यालय जबलपुर को अधिक बजट देकर कार्यक्रम अच्छा करने की कोशिश की जा रही है। प्रकृति दर्शन के लिए ऐसे स्कूलों का चयन किया जा रहा है।

वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के कार्यक्रम सभी रेंजों में भेज दिए गए हैं। स्कूलों ने जो तिथि बताई है, उसके अनुसार कार्यक्रम किए जाएंगे। बच्चों को प्रकृति दर्शन एवं उनके बीच प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी।
– रविंद्र मणि त्रिपाठी, डीएफओ

जागरुकता के कार्यक्रम में जनभागीदारी महत्वपूर्ण है। वन्य प्राणी प्रेमियों के सहयोग से प्राप्त बजट में बेहतर कार्यक्रम किया जाएगा। जागरुकता कार्यक्रम प्रदेश भर में मनाया जा रहा है। इसमें बजट नहीं, इच्छा शक्ति चाहिए।
दिलीप कुमार, एपीसीसीएफ, वन्य प्राणी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो