scriptसेना और तोप गोलों का शहर का शहर, बड़े विमान आए, तो हो सकता है खतरा | big aircraft not landing here | Patrika News

सेना और तोप गोलों का शहर का शहर, बड़े विमान आए, तो हो सकता है खतरा

locationजबलपुरPublished: Apr 11, 2019 08:39:04 pm

Submitted by:

virendra rajak

क्या है इसके पीछे का कारण

The pride of the city - they had infiltrated into Pakistan to kill en

The pride of the city – they had infiltrated into Pakistan to kill en

जबलपुर, यहां आयुध निर्माणियां हैं, जहां दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले तोप गोले और वाहन बनते हैं, वहीं सेना के कई मुख्यालय और यूनिटें यहां हैं, लेकिन यदि कोई आपत स्थिति बन जाए, तो इस शहर के एयरपोर्ट पर बड़ा विमान नहीं उतर सकता। कारण है एयरपोर्ट का काफी पिछड़ा होना। इसके विस्तारीकरण की योजना तो शुरू की गई, लेकिन वो इतनी धीमी है, कि उसके क्या कहने। कहने के लिए रनवे तो है, लेकिन वह केवल घरेलू उड़ानों के लिए है अंतराष्ट्रीय स्तर की उड़ाने यहां के लिए सपना है। यदि बड़े विमान यहां उतरते हैं, तो विमान और यात्रियों को खतरा हो सकता है।
डुमना एयरपोर्ट के विस्तार और देश के सभी एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए इसका विस्तारीकरण किया जा रहा है। काम की धीमी रफ्तार से समय सीमा में कार्य पूरा होता नहीं दिख रहा। कुछ समय पूर्व रन-वे पर फिलिंग की गई। इसके बाद काम रफ्तार नहीं पकड़ सका। यही हाल टर्मिनल बिल्डिंग का है। एेसे में वर्ष २०२१ तक इसका निर्माण पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
स्वीकृति मिली, काम धीमा
५०० यात्रियों की क्षमता वाली टर्मिनल बिल्डिंग के लिए परियोजना प्रबंधक की नियुक्ति की गई है। निर्माण एजेंसियों ने भवन की डिजाइन तैयार कर डीजीसीए को भेज दी है। इसकी स्वीकृति भी मिलने के टर्मिनल बिल्डिंग का काम शुरू हुआ, लेकिन रफ्तार काफी धीमी है।
पहले चरण का काम
एयरपोर्ट विस्तारीकरण के पहले चरण में टर्मिनल बिल्डिंग, कंट्रोल टॉवर और फायर स्टेशन का निर्माण होना है। दस हजार वर्गफीट नई टर्मिनल बिल्डिंग बनाई जाना है, लेकिन टर्मिनल बिल्डिंग समेत 32 मीटर की ऊंचाई वाले कंट्रोल टॉवर का काम रफ्तार नहीं पकड़ सका है।
बाउंड्रीवॉल भी अधूरी
एयरपोर्ट की सुरक्षा के लिए ८.५० लाख रुपए से 12 किमी लम्बी बाउंड्रीवॉल बनाई गई। इसके लिए दो कम्पनियों को ठेका दिया गया है। काम तो पूरा हो गया, लेकिन बाउंड्रीवॉल अब भी कई स्थानों पर अधूरी है।
क्वार्टर नहीं, इसलिए सीआइएसएफ की तैनाती नहीं
डुमना एयरपोर्ट की सुरक्षा पुलिस जवानों पर है। यहां शिफ्ट में ३५ पुलिस अधिकारी और जवानों की तैनाती की जाती है। इसके एवज में एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से पुलिस विभाग को आठ लाख रुपए भुगतान करना पड़ता है। एयरपोर्ट विस्तारीकरण के साथ ही सीआइएसएफ के लिए क्वार्टर और मूलभूत सुविधाओं का विकास करना था, जो अब तक नहीं हो सका है। इसीलिए यहां सीआइएसएफ की तैनाती नहीं हो पा रही है।
फैक्ट फाइल
– ४१९ करोड़ रुपए है सम्पूर्ण विस्तार कार्य की लागत
– २०२१ तक पूरा होना है काम
– ७५ यात्री है वर्तमान टर्मिनल बिल्डिंग की क्षमता
– ५०० यात्री क्षमता होगी विस्तार के बाद टर्मिनल बिल्डिंग की
– ९००० वर्ग फीट है टर्मिनल बिल्डिंग का क्षेत्रफल
– १९८८ मीटर है रन-वे की वर्तमान लम्बाई
– ४७३८ मीटर होगी विस्तार के बाद लम्बाई
– २०६ करोड़ रुपए से हो रहा रन-वे का निर्माण
———-
ये काम पूरे
– अत्याधुनिक शौचालय का निर्माण
– नई एक्स-रे मशीन इंस्टॉल
– डिस्प्ले सिस्टम इंस्टॉल
————
टर्मिनल बिल्डिंग में ये सुविधाएं होंगी
चेक इन काउंटर्स, दो बैगेज बेल्ट, एलीवेटर्स, एस्केलेटर, आधुनिक पैसेंजर बोर्डिंग ब्रिज, फायर फाइटिंग सिस्टम, फायर फाइटिंग अलार्म, सिग्नल, डिस्प्ले बोर्ड, सीसीटीवी कैमरे, बैग स्केनर, चाइल्ड केयर रूम, वीआईपी लांज, एटीएम, स्नेक्स बार, ३०० कारों और बसों की पार्किंग।
————–
एटीसी ब्लॉक
लागत : २०७ करोड़ रुपए
क्षेत्रफल : २७४५ वर्गमीटर
सात मंजिला टॉवर की लम्बाई : ३२ मीटर
काम की स्थिति १० प्रतिशत
…………….
टर्मिनल बिल्डिंग
लागत 163 करोड़
क्षेत्रफल १० हजार वर्गफीट
काम की स्थिति १२ प्रतिशत
………….
रनवे
लागत 206 करोड़
वर्तमान लम्बाई 1988 मीटर
बढ़ोत्तरी होनी है 2750 मीटर
काम की स्थिति १५ प्रतिशत
—————
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो