यह है मामला- भोपाल निवासी शमशुल हसन ने याचिका में कहा कि भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने चुनाव आयोग को पेश किए गए शपथ-पत्र में अपने आपराधिक प्रकरणों व अचल संपत्ति की सही जानकारी नहीं दी। मसूद के खिलाफ 29 आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। जबकि उन्होंने शपथ-पत्र में केवल एक प्रकरण की जानकारी दी। शपथ पत्र में अचल संपत्ति के बारे में भी गलत जानकारी पेश की गई। अधिवक्ता समीर सेठ ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग को शपथपत्र पर गलत जानकारी पेश करने के लिए मसूद का निर्वाचन निरस्त किया जाए। प्रांरभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने विधायक मसूद को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।
वहीं एक अन्य मामले में मप्र हाईकोर्ट में खंडवा विधायक देवेन्द्र वर्मा के निर्वाचन को चुनाव याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। जस्टिस मोहम्मद फहीम अनवर की सिंगल बेंच ने खंडवा विधानसभा चुनाव में प्रयुक्त सभी विवादित ईवीएम सुरक्षित रखने को कहा। कोर्ट ने अविवादित ईवीएम लोकसभा चुनाव के लिए मुक्त करने के निर्देश दिए। खंडवा विधानसभा से कांग्रेस के पराजित प्रत्याशी कुंदन मालवीय ने याचिका में कहा कि भाजपा विधायक देवेन्द्र वर्मा एजुकेशन सोसायटी में अध्यक्ष है, जो लाभ का पद है। मतगणना के दौरान फार्म 17 सी में आवश्यक जानकारी नहीं भरी गई। नामांकन के प्रोफार्मा में कई कॉलम खाली छोड़े गए। तर्क दिया गया कि चुनाव में कई गड़बडिय़ां हुईं। इसलिए चुनाव निरस्त किया जाए। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ ने आवेदन दायर कर अविवादित ईवीएम मुक्त करने का आग्रह किया। जिसे कोर्ट ने माना।