पेशे पर लगाया कलंक
बताया गया है कि सतना जिले के पन्ना चौकी परसमनिया निवासी 27 वर्षीय महेन्द्र सिंह गोंड़ पिता कोदूलाल उर्फ राजबहादुर सिंह पेशे से शिक्षक है। इस पेशे की गरिमा को कलंकित करते हुए उसने ग्राम परसमनिया में 1 जुलाई 2018 की रात 4 साल की एक मासूम को अगवा कर लिया। यह दरिंदा बालिका को अपहृत करके झाडिय़ों में ले गया और उसके साथ दुष्कृत्य किया। बालिका रक्त रंजित हालत में पड़ी हुई मिली थी। पीडि़ता की हालत नाजुक होने पर घटना के दूसरे दिन ही तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात कर पीडि़ता को यहां से एयरलिफ्ट कराते हुए नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया था।
ऐसे आया है फैसला
उल्लेखनीय है कि परसमनिया रेप कांड में पुलिस ने विवेचना में तेजी दिखाई थी। वारदात के 81 दिन के अंदर पुलिस विवेचना हुई और कोर्ट का फैसला भी आ गया था। कोर्ट ने 47 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुना दिया था। नागौद स्थित अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा की अदालत ने आरोप प्रमाणित पाए जाने पर महेन्द्र को 19 सितंबर 2018 फांसी की सजा सुनाई थी। एमपी हाईकोर्ट ने आरोपी की अपील को खारिज करते हुए 25 जनवरी को फांसी की सजा बरकरार रखी थी।
डेथ वारंट हुआ है जारी
जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार के अनुसार मध्य प्रदेश के सतना जिले में 4 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म के अपराधी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस केन्द्रीय कारागार में 2 मार्च को सुबह 5 बजे फांसी दी जाएगी। इस मामले में निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा एमपी हाईकोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने के बाद शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा की अदालत ने दुष्कर्मी का डेथ वारंट जारी कर दिया है। अदालत ने जबलपुर के केंद्रीय जेल अधीक्षक को भेजे डेथ वारंट में 27 वर्षीय दुष्कर्मी महेन्द्र सिंह गोंड़ पिता कोदूलाल उर्फ राजबहादुर सिंह निवासी पन्ना चौकी परसमनिया को फांसी पर तब तक लटकाए रखने के आदेश दिए हैं, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। हालांकि आरोपित के पास अभी सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रपति के समक्ष अर्जी का विकल्प बाकी है, इसलिए उसकी सजा को लेकर तैयारियां शिथिल कर दी गई हैं।