यह है मामला
डेयरी संचालकों ने शहर से डेयरी हटाने के खिलाफ एनजीटी की शरण ली थी। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व एनजीटी के अधिवक्ता प्रभात यादव ने डेयरी संचालकों की मांग का विरोध करते हुए तर्क दिया कि नगर निगम सीमा के भीतर डेयरियां संचालित होने से प्रदूषण फैलता है, जो विभिन्न बीमारियों का सबब बनता है। एनजीटी ने इस तर्क को गम्भीरता से लेते हुए डेयरी संचालकों की मांग नामंजूर कर दी।
डेयरी संचालकों ने शहर से डेयरी हटाने के खिलाफ एनजीटी की शरण ली थी। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे व एनजीटी के अधिवक्ता प्रभात यादव ने डेयरी संचालकों की मांग का विरोध करते हुए तर्क दिया कि नगर निगम सीमा के भीतर डेयरियां संचालित होने से प्रदूषण फैलता है, जो विभिन्न बीमारियों का सबब बनता है। एनजीटी ने इस तर्क को गम्भीरता से लेते हुए डेयरी संचालकों की मांग नामंजूर कर दी।
22 साल पहले उठाया था मामला डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से 22 साल पूर्व मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर यह मामला उठाया गया था। वर्ष 2017 में हाईकोर्ट ने यह जनहित याचिका एनजीटी ट्रांसफर कर दी थी। उसके बाद एनजीटी ने इस मामले की सुनवाई की और मूलभूत दिशा-निर्देशों के साथ पटाक्षेप कर दिया। छह जुलाई को अंतिम बहस पूरी होने के साथ ही एनजीटी ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था, जिसे अब सार्वजनिक किया गया। दरअसल जबलपुर में प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने नगर निगम सीमा के भीतर स्थित डेयरियों को बाहर किए जाने का आदेश पारित किया था। इसके खिलाफ डेयरी संचालकों ने एनजीटी में अलग से याचिकाएं दायर करके उक्त आदेश पर रोक लगाए जाने की मांग की थी। लेकिन, एनजीटी ने उनकी मांग नामंजूर कर दी।
पालन न होने पर अवमानना याचिका होगी दायर डॉ. पीजी नाजपांडे ने स्पष्ट किया कि एनजीटी के ताजा आदेश-निर्देश का समुचित पालन सुनिश्चित नहीं की गई, तो अवमानना याचिका दायर की जाएगी।