मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर बड़ा फैसला दिया है। मप्र हाईकोर्ट ने अहम आदेश में कहा कि अनुकम्पा नियुक्ति एक सुविधा है, अधिकार नहीं। परिवार के एक सदस्य के सरकारी कर्मी होने की सूरत में दूसरे सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ नहीं दिया जा सकता। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की सिंगल बेंच ने इस मत के साथ ६ठीं बटालियन एसएएफ (अद्र्ध सैनिक बल) के दिवंगत हेड कांस्टेबल के पुत्र की अपील निरस्त कर दी।
यह है मामला
प्रकरण के अनुसार झंडा चौक, रांझी जबलपुर निवासी सोहनलाल जोशी के पिता राजेंद्र प्रसाद जोशी जबलपुर में एसएएफ की ६ठीं बटालियन में ड्रायवर थे। २८ जून २०१० को उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, जो इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि राजेंद्र जोशी का बड़ा बेटा छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मी है। इसके बाद सोहनलाल ने आवेदन किया, लेकिन वह भी खारिज कर दिया गया।
डीजीपी के आदेश को दी थी चुनौती-
डीजीपी मप्र के इसी आदेश को सोहनलाल ने याचिका के जरिए मप्र हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया। लेकिन, फिर अभ्यावेदन निरस्त होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जो चार मार्च २०१७ को निरस्त कर दी गई। इसी आदेश को अपील में चुनौती दी गई।
यह है मामला
प्रकरण के अनुसार झंडा चौक, रांझी जबलपुर निवासी सोहनलाल जोशी के पिता राजेंद्र प्रसाद जोशी जबलपुर में एसएएफ की ६ठीं बटालियन में ड्रायवर थे। २८ जून २०१० को उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, जो इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि राजेंद्र जोशी का बड़ा बेटा छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मी है। इसके बाद सोहनलाल ने आवेदन किया, लेकिन वह भी खारिज कर दिया गया।
डीजीपी के आदेश को दी थी चुनौती-
डीजीपी मप्र के इसी आदेश को सोहनलाल ने याचिका के जरिए मप्र हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया। लेकिन, फिर अभ्यावेदन निरस्त होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जो चार मार्च २०१७ को निरस्त कर दी गई। इसी आदेश को अपील में चुनौती दी गई।