scriptबड़ी खबर: ओबीसी आरक्षण मामले में जवाब देने सरकार को मोहलत | Big news: OBC reservation case | Patrika News

बड़ी खबर: ओबीसी आरक्षण मामले में जवाब देने सरकार को मोहलत

locationजबलपुरPublished: Mar 27, 2019 09:16:14 pm

Submitted by:

Manish garg

हाईकोर्ट ने जवाब देने दी दो हफ्ते की मोहलत, कमलनाथ सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट ने लगाई है रोक, एकता मंच ने दायर की हस्तक्षेप याचिका

mp high court

mp high court

जबलपुर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार द्वारा को २७ फीसदी आरक्षण देने के मामले में 27 मार्च को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। राज्य सरकार ने जवाब पेश करने दो सप्ताह का समय मांगा। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकार का आग्रह मंजूर कर दो सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने का निर्देश दिया। उल्लेखनीय है कि १९ मार्च को हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए राज्य सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए किए गए 27 फीसदी आरक्षण के प्रावधान पर रोक लगा दी थी। उधर इस मामले में ओबीसी, एससी, एसटी एकता मंच की ओर से बुधवार को हस्तक्षेप याचिका दायर की है। जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
यह है मामला-

जबलपुर निवासी असिता दुबे, भोपाल की ऋचा पांडे व सुमन सिंह ने याचिका में कहा कि संविधान के अनुच्छेद-16 में प्रावधान है कि एसीएसटी-ओबीसी को मिलाकर रिजर्वेशन का परसेंटेज 50 से अधिक नहीं हो सकता। इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से अध्यादेश लाकर अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का प्रतिशत 27 कर दिया। अधिवक्ता आदित्य संघी ने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण को अवैधानिक बताया।
सुको के स्पष्ट दिशानिर्देश का उल्लंघन-
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ७ जजों की बेंच के 1995 में इंदिरा साहनी के केस में दिए फैसले के अनुसार 50 फीसदी से अधिक आरक्षण संभव नहीं है। वर्तमान में अनुसूचित जाति के लिए 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 20 प्रतिशत व ओबीसी के लिए १४ प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इसके बावजूद २७ फीसदी आरक्षण असंवैधानिक है। बुधवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर ने जवाब के लिए समय की मांग की।
एकता मंच ने दायर की हस्तक्षेप याचिका
ओबीसी, एससी, एसटी एकता मंच की ओर से बुधवार को हस्तक्षेप याचिका में कहा गया कि 1931 की जनगणना के अनुसार देश में ओबीसी की जनसंख्या 57 प्रतिशत है। इसलिए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए। अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई केवल सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है। कोर्ट ने इसपर भी जवाब मांगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो