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इंडिया में पक्षियों से इंसानों में पहुंच सकती है बीमारी…जानिए रिसर्च की रिपोर्ट

locationजबलपुरPublished: Mar 18, 2020 10:43:52 pm

Submitted by:

abhimanyu chaudhary

पक्षियों में मिला एंटीबॉयोटिक रजिस्टेंस
 

birds tragedy

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जबलपुर, जंगल, झाडि़यों और जलस्रोत के सहारे रहने वाले पक्षी प्रत्यक्ष तौर पर दवा नहीं खाते-पीते हैं लेकिन उनके शरीर में भी एंटीबॉयोटिक रजिस्टेंस है। नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ की मॉलीकुलर लेवल पर हुई साइंटिफिक स्टडी में यह फैक्ट सामने आया है। इस रिपोर्ट से वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक भी मंथन कर रहे हैं कि आखिर दवाइयों के अति प्रयोग या दुरूपयोग का असर पक्षियों के शरीर में कैसे पहुंच रहा है।
वेटरनरी यूनिवर्सिटी में मॉलीकुलर स्टडी पीसीआर के माध्यम से प्रतिरोधी बैक्टीरिया और उनके जीन के बारे में रिपोर्ट तैयार की गई है। इनमें पालतू और खुली हवा में विचरण करने वाली पक्षियों के सेम्पल (मल) का टेस्ट किया गया। ई-कोलाई में सबसे ज्यादा प्रतिरोध एम्पीसिलीन, कोट्राइमोक्साजोन, सेफ्टीएक्सजोन का पाया गया है। वहीं स्टेफायलोकाकस में 70 प्रतिशत एमआरएसए (मैथीसिलीन रेजिस्टेंट स्टेलोफायलोकोकस आेरियस) प्राप्त हुआ। इनमें सबसे ज्यादा प्रतिरोध क्लीनडामाइसीन एवं ओफ्लाक्सासीन का है। ये दवाइयां इंसान और पशुओं के इलाज में प्रयोग की जाती है। दवा की ओवरडोज व अंडर कोर्स के कारण प्रतिरोधी बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं। जबकि, पक्षियों के शरीर में दवा के तत्व पहुंचने के बाद एेसी रिपोर्ट आई है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर पक्षियों में कोई बड़ी बीमारी होती है तो उनकी प्रजाति को बचाने में मुश्किलें आ सकती हैं। जबकि, पक्षियों के माध्यम से इंसान तक नुकसानदायक बैक्टीरिया पहुंच सकते हैं।
रेस्क्यू और जू की पक्षियों का टेस्ट

वेटरनरी यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रो. डॉ. काजल जादव के मार्गदर्शन में रेजीडेंट डॉ. हर्षिता राघव ने अगस्त 2019 से फरवरी 2020 तक स्टडी की है। इनमें इंदौर जू से मोर, तोता एवं उल्लू और ग्वालियर जू से मोर के सैम्पल की जांच की गई। उस दौरान ये पक्षी बीमार नहीं थे और न कोई इनकी कोई उपचार चल रहा था। जबकि, सेंटर में इलाज के लिए आने वाले पक्षियों के सेम्पल टेस्ट भी किए गए। इनमें चील, उल्लू, तोता, नीलकंठ, हरा कबूतर आदि प्रजाति शामिल हैं। जबकि, शहर के हाईकोर्ट स्थित बीएसएनएल कैम्पस, रामपुर स्थित जलपरी से भी सेम्पल लिया गया है। रेस्क्यू की पक्षियों 36 सहित कुल 60 सेम्पल टेस्ट किए गए हैं।
पक्षियों में एंटीबॉयोटिक रजिस्टेंस की मॉलीकुलर साइंटिफिक स्टडी की गई है। इस विषय पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट तैयार किया है। परमिशन मिलने के बाद इसके विभिन्न पहलुओं पर बड़े स्तर पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। फिलहाल पक्षियों में प्रतिरोधी बैक्टीरिया पनपने के मुख्य कारण का पता नहीं चला है। यह गंभीर विषय है।
डॉ. मधु स्वामी, डायरेक्टर, स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ

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