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जबलपुर : लगातार तीन बार जीत के बाद भी इस बार कठिन है राकेश की राह
पर्यटन हब का सपना अधूरा, न उद्योग लगे, न युवाओं को रोजगार मिला
पिछले चुनावी आंकड़ों को देखें तो जबलपुर लोकसभा सीट भाजपा का मजबूत गढ़ रही है। पहले बाबूराव परांजपे जीतते रहे, फिर जयश्री बनर्जी ने क्षेत्र का नेतृत्व किया। राकेश सिंह जबलपुर में औद्योगिक विकास और युवाओं को रोजगार के अवसर दिलाने पीछे रहे। उनके लोकसभा में मुख्य सचेतक बनने के बाद केन्द्रीय मंत्रियों की यहां आवाजाही बढ़ी। जबलपुर-गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना ने गति पकड़ी। उन्होंने डुमना एयरपोर्ट विस्तार के लिए केन्द्र से राशि मंजूर कराई। केंद्रीय मंत्रियों से कई बड़ी घोषणाएं भी कराईं, लेकिन जमीनी स्तर पर वे साकार होती नहीं दिख रही हैं।
आदर्श ग्राम में हार
सांसद आदर्श गांव कोहला को शासन की कई योजनाओं का लाभ नहीं मिला। नतीजा ये रहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा कोहला सहित आसपास के गांवों में हार गई। यहां भाजपा को औसत से भी कम मत मिले। क्योंकि, आदर्श गांव की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं।
कांग्रेस का फोकस
सिंह के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस का इस अंचल में फोकस बढ़ा। कांग्रेस ने कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन कर सरकार बना ली। नाथ मुख्यमंत्री बन गए। माना जा रहा था कि भाजपा अपने गढ़ में और मजबूत होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
यह काम किए
देश के विभिन्न शहरों को हवाई सेवाओं से जोडऩा।
भेड़ाघाट में लाइट एंड साउंड कार्यक्रम की शुरूआत।
एयरपोर्ट का विस्तार
छठवीं सीजीएचएस डिस्पेंसरी की मंजूरी दिलाना।
यह काम अधूरे
मदन महल फ्लाईओवर का काम अब तक शुरू नहीं।
टूल रूम की स्थापना में बड़ी पहल नहीं की।
जबलपुर को पर्यटन हब बनाने पर्यटन स्थलों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास।
साइंस सेंटर और तारामंडल प्रोजेक्ट की सुस्त चाल।
बदल गए राजनीतिक समीकरण
भाजपा को जबलपुर में लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम चुनाव में जनता का जबर्दस्त समर्थन मिलता रहा है, लेकिन यहां के विधायकों को राज्य मंत्रिमंडल में पर्याप्त जगह नहीं मिलने का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा। कांग्रेस पहले से ही सतर्क है और भाजपा के एकमात्र राज्यमंत्री के बदले यहां से दो मंत्री बनाए हैं। तरुण भनोट को वित्त जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपा है। लखन घनघोरिया को सामाजिक न्याय मंत्री बनाया है। जबकि, तीसरे विधायक संजय यादव को सचेतक बनाया गया है। इससे क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
भेड़ाघाट में पर्यटन विकास के लिए आवश्यक प्रयास नहीं किए गए। रमणीय स्थलों के पास पर्यटकों के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित नहीं किया गया। रेलवे स्टेशन को पर्यटन स्टेशन बनाने भी प्रयास नहीं
किए गए।
चेतराम पटेल, भेड़ाघाट
जबलपुर में उद्योगों का विकास नहीं हुआ, रोजगार के अवसर बढ़ाने कोई प्रयास नहीं हुए। युवा पलायन करने को मजबूर हैं। विकास के मामले में महाकौशल की केन्द्र बिंदु रही संस्कारधानी आज हर लिहाज से समकक्ष रहे शहरों के मुकाबले पिछड़ गया है।
अनूप राय, ललपुर