लिया था 34 करोड़ का लोन
पटवा की ओर से प्रस्तुत मामले में कहा गया कि उन्होंने वर्ष 2016 में बैंक ऑफ बड़ौदा से इंदौर स्थित अपने संस्थान पटवा ऑटोमोटिव के लिए 34 करोड़ रुपए का लोन लिया था। अभी तक उन्होंने इस कर्ज का 4.5 करोड़ रुपए चुका दिया है। इसके बावजूद बैंक ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना 21 जनवरी 2018 को उन्हें विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया। साथ ही उनसे शेष कर्ज की रकम की वसूली का आदेश जारी कर दिया गया।
अधिवक्ता ने रखा ये पक्ष
पूर्व सुनवाई में डीआरटी ने याचिकाकर्ता को बैंक को एक करोड़ रुपए जमा करने व 20 हजार रुपए प्रधानमंत्री बाढ़ राहत कोष में जमा करने का आदेश दिया था। अधिवक्ता मृगेंद्र सिंह ने तर्क दिया कि आदेश के पालन में उक्त राशि जमा कर दी गई है। कर्ज की किश्तें लगातार जमा की जा रही हैं। इसके वावजूद भी बैंक ने उक्त आदेश जारी कर दिया। इसके लिए बैंक ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। उन्हें अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया।
इसलिए निकाला विज्ञापन
इस मामले में बैंक के पक्ष के अधिवक्ता ने बताया कि बैंक ने नोटिस जारी कर कई बार पटवा के भोपाल स्थित दो बंगलों पर और इंदौर के ठिकानों पर नोटिस भेजे। उनका पता लगाया, लेकिन नोटिस स्वीकार नहीं किया, इसलिए अखबारों में विज्ञापन देना पड़ा। मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सुरेंद्र पटवा मध्यप्रदेश में बैंक आफ बड़ौदा की इंदौर ब्रांच ने कई नोटिस जारी करने के बाद प्रदेश के पर्यटन मंत्री और भोजपुर से विधायक सुरेंद्र पटवा को विलफुल डिफाल्टर घोषित किया जा रहा है। बैंक का मानना है कि वे पैसा चुकाने की क्षमता रखते हैं, इसके बावजूद वे जानबूझकर बैंक की रकम नहीं चुका रहे हैं। पटवा के अलावा डिफाल्टरों की सूची में पटवा आटोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स सुरेंद्र पटवा, मोनिका पटवा, भारत पटवा, महेंद्र पटवा समेत पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा की पत्नी फूलकुंवर पटवा का भी नाम शामिल हैं।