ऐसे तय होता है कमीशन
आरपीएफ को जानकारी मिली है कि यात्रियों से ज्यादा से ज्यादा रकम ऐंठने के लिए एजेंट ट्रेनों की दूरी, उनकी वेटिंग लिस्ट, बुकिंग समेत अन्य चीजों पर अलग-अलग कमीशन ले रहे हैं। कभी सफर की दूरी तो कभी ट्रेनों में वेटिंग के आधार पर कमीशन तय होता है। इ-टिकट किसी भी कोटे से कन्फर्म नहीं होती, इसके बावजूद एजेंट यात्रियों को टिकट कन्फर्म कराने का झांसा देकर अतिरिक्त भुगतान ले रहे हैं।
मुख्य बाजार से गली मोहल्लों तक धंधा
आरोपितों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि फर्जी इ-मेल और आइडी के जरिए इ-टिकट बनाने और उसमें मुनाफाखोरी का धंधा शहर के मुख्य बाजारों से लेकर गली मोहल्लों तक फल-फूल रहा है। इस गोरखधंधे में शामिल लोगों की संख्या करीब दो से पांच हजार के बीच बताई जा रही है।
थानों को भेजेंगे जानकारी
आरपीएफ के सूत्रों की माने तो आइआरसीटीसी भी इसके लिए सख्त हो गया है। वह मंडल स्तर पर यह डाटा तैयार कर रहा है। जल्द ही यह जानकारी सभी मंडलों के आरपीएफ पोस्ट और थानों को भेजी जाएगी।
गोपनीय तरीके से जुटा रहे जानकारी
जानकारी के अनुसार आरपीएफ की एक टीम सादे कपड़ो में शहर में तफरीह कर रही है। यह टीम उन लोगों का पता लगा रही है, जो यह गोरखधंधा कर रहे हैं।
आईआरसीटीसी की आड़ में अवैध रूप से ई टिकट बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। शहर में कई और स्थानों में ऐसे सेंटर चलने की जानकाीर सामने आई है। तस्दीक कर कार्रवाई की जाएगी।
वीरेन्द्र सिंह, पोस्ट इंचार्ज, आरपीएफ