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काला शीशम अब आयूसीएन की रेड लिस्ट में, यह है वजह

locationजबलपुरPublished: Feb 17, 2019 07:36:59 pm

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reetesh pyasi

सागौन से महंगी होती है इसकी लकड़ी, किलो के भाव में होती है बिक्री

tree cuting

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जबलपुर। साल और सागौन से भी अच्छी गुणवत्ता की लकड़ी के एक मात्र विकल्प काले शीशम प्रजाति के पेड़ जंगलों से गायब हो गए हैं। इस प्रजाति के पेड़ जहां जंगल की खासियत थे, वहां अब नजर नहीं नहीं आ रहे हैं। अच्छी गुणवत्ता के फर्नीचर, राइफल बट, गिटार सहित अन्य वाद्य यंत्र, खेलों के उपकरण, प्लाइवुड व डेकोरेशन बनाने में उपयोगी काले शीशम की लकड़ी किलो के भाव बिकती है। इतनी महत्वपूर्ण प्रजाति के पेड़ अब ढूढऩे पर नहीं मिल रहे हैं।
साल-सागौन से भी महंगी है लकड़ी
काला शीशम का वैज्ञानिक नाम डलवर्जिया लैटिफोलिया और कामन नाम इंडियन रोज वुड है। इसकी लकड़ी के सामानों का निर्यात भी होता है। साल-सागौन से भी महंगी होने के कारण जंगलों से इसके पेड़ गायब होते गए। इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्स(आयूसीएन) ने इसे रेड लिस्ट में वलनरेबल केटेगरी में दर्ज किया है। जबकि, कंजर्वेशन ऑफ इंटनरेशनल ट्रेड इन इंजर्ड स्पेसीज ने इसकी लकड़ी के व्यापार पर रोक लगा दी है। उष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान (टीएफआरआइ) के वैज्ञानिकों ने इंडियन काउंसिल ऑफ फारेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन के प्रोजेक्ट में जेनेटिक इम्पूवमेंट ऑफ डलवर्जिया लैटिफोलिया में चार राज्यों में रिसर्च की, जिसमें खुलासा हुआ कि पेड़ों की संख्या में कमी आ गई है।
चार राज्यों में ढूढ़े गए पेड़-
चार राज्यों में 2013 से 2018 तक रिचर्स की गई। वन कार्ययोजना के रेकॉर्ड में जिस क्षेत्र में काला शीशम के पेड़ दर्ज हैं, वहां संख्या और पेड़ों की गुणवत्ता देखी गई। मप्र, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और ओडिशा में हुए रिसर्च के एरिया में 197 पेड़ मिले। छिंदवाड़ा के तामिया में अच्छी संख्या में पेड़ हैं। बैतूल, बालाघाट, मंडला, सिवनी, रीवा, सतना में बहुत कम पेड़ मिले। जबलपुर के बरेला क्षेत्र में पेड़ हैं लेकिन गुणवत्ता अच्छी नहीं है। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, धमतरी में पेड़ पाए गए।
कई कारणों से आया रेडलिस्ट में-
लकड़ी महंगी होने के कारण पेड़ों की अवैध रूप से कटाई की जा रही है। सागौन की एक घन फुट लकड़ी 3-4 हजार रूपए में मिलती है, काला शीशम 4-5 हजार रूपए में मिलेगा। करीब ४० साल में पूरी तरह तैयार होने के कारण पौध रोपण नहींं किया जा रहा है। पौधा एक-दो फीट का होता है, उसी समय से फंगस लगने लगता है, कम पौधे पेड़ का आकार ले पाते हैं।
सिस्सू नहीं है काला शीशम-
काला शीशम और शीशम एक ही फेमिली के हैं लेकिन इनमें अंतर है। साधारण शीशम या सिस्सू का वैज्ञानिक नाम डलवर्जिया सिस्सू है। सिस्सू की पत्तियां नुकीली होती है जबकि, इसकी पत्तियां उसके ही आकार में गोल होती है। काले शीशम की लकड़ी बैगनी रंग की होती है, ऊपर की लकड़ी साफ्ट और अंदर हार्ड होती है। फिनिशिंग, शाइनिंग अच्छी होती है, रेसे अच्छे दिखते हैं। काला शीश अक्सर सीधा ऊपर जाता है, 18 से 22 मीटर ऊंचा पेड़ होता है।

रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार काला शीशम जंगलों में कम हो गया है। संस्थान की नर्सरी में काला शीशम का जीन बैंक बनाया गया है, जिसमें चार राज्यों की प्रजाति शामिल है।
डॉ. फातिमा शिरीन साइंटिस्ट, टीएफआरआइ
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