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blue whale game- बच्चों को टार्गेट और एक्शन गेम्स का चस्का, जरूरी है यह सतर्कता

locationजबलपुरPublished: Sep 12, 2017 01:05:00 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

नेशनल वीडियो गेम्स डे आज: गेम्स एंड टेक्नोलॉजी में लगातार आए हैं बदलाव, टीवी स्क्रीन से मोबाइल तक पहुंचे गेम्स

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जबलपुर। ब्लू वेल गेम। ये अभी चर्चाओं में है अपने खूनी खेल के लिए। इस ऑनलाइन गेम के चक्कर में फंसकर कुछ बच्चे अपनी जान दे चुके है। इस खेल के प्रति बच्चों का जुनून ही कहेंगे कि मोबाइल गेम्स कई शौकीन जिसे मौत का जाल जानकर और चाहकर भी उसे नहीं छोड़ पाएं। हालात इतने बिगड़े कि प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में सरकार को ब्लू वेल गेम को प्रतिबंधित करने के निर्देश जारी करने पड़े। इन सब के बीच चौंकाने वाली बात ये है कि शहर के बच्चों को भी टार्गेट और एक्शन गेम्स का चस्का है। अन्य आयु वर्गों के लोगों के बच्चे टार्गेट और एक्शन गेम्स पर ज्यादा फोकस कर रहे है। ऐसे में पैरेंट्स को सतर्कता बरतने की जरुरत है।
डिफरेंट गैजेट्स और स्मार्टफोन
बचपन में कॉन्ट्रा और सुपर मारियो की स्टेज पार करना किसी बड़े काम को पूरा करने जैसा होता था, वहीं अब एंग्री बर्ड और कैंडी क्रश की स्टेज क्लीयर होने से बेहद खुशी मिलती है। गेम्स और टेक्नोलॉजी में लगातार परिवर्तन आया है। तकनीकी क्रांति का असर यह है कि बिग स्क्रीन से निकलकर गेम्स अब मोबाइल स्क्रीन तक पहुंच चुके हैं। अब लोगों की एंटरटेंमेंट सिर्फ लैपटॉप और डेस्कटॉप तक सीमित नहीं, क्योंकि अब लोगों को एंटरटेंमेंट के लिए डिफरेंट गैजेट्स और स्मार्टफोन की स्क्रीन गेम्स खेलने के लिए मिल रही है। शहर की बात की जाए तो यहां बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग वर्गों तक में डिफरेंग गेम्स का क्रेज देखा जा रहा है। जहां उन्हें मोशन, आर्केड के साथ ऑनलाइन गेम्स पसंद आ रहे हैं।
इस तरह बदला फॉर्मेट
वीडियो गेम्स के फॉर्मेट में पिछले कुछ सालों में ही काफी परिवर्तन आ चुका है। एेसे में लोगों को अब वह गेम्स भी मोबाइल फोन में मिल रहे हैं, जो उनके बचपन के दिनों की याद दिला देते हैं। इसमें लूडो के साथ अब लोगों को सुपर मारिया, कॉन्ट्रा, गिल्ली डंडा जैसे गेम्स मिल रहे हैं। इसके साथ ही अब ऑनलाइन गेम्स लोगों की सबसे ज्यादा पसंद बन चुके हैं।
मनोरंजन था उद्देश्य
वर्ष १९५१ में ब्रिटेन से इस दिवस की शुरुआत हुई थी। इसके बाद १९७५ में इसे घरेलू संस्करण के रूप में से इसे लॉन्च किया गया और १२ सितम्बर से इसे ग्लोबल लेवल पर मनाया जाने लगा। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को मनोरंजन प्रदान करना था।
टॉप फाइव गेम्स इन सिटी
कैंडी क्रश, एंग्री बर्ड, लूडो, क्लैश ऑफ द टाइटन, टॉक इन टॉम
मनोरंजन लेकिन सावधानी भी जरूरी
मोबाइल फोन आने के बाद गेम्स के पैटर्न में जबदस्त इनोवेशन आए हैं। इस बीच कुछ एेसे खेलों ने भी दस्तक दे दी है, जो लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। इस बात का अंदाजा हालिया रीलिज हुए गेम्स पोकेमॉन गो और ब्लू व्हेल से लगाया जा सकता है। लाइव होने वाले इन गेम्स से लोगों कुछ एेसे टास्ट दिए जाते हैं, जो बेहद रिस्की साबित हुए हैं। एेसे में जरूरी है कि गेम्स का चुनाव करते हुए सावधानी जरूर बरती जाए। खासतौर पर पैरेंट्स बच्चों के गेम्स सलेक्शन का खासा ध्यान रखें।
इनका रखें ध्यान
– बच्चों को ज्यादा देर मोबाइल न खेलने दें।
– उन पर नजर रखें कि वे कौन सा गेम खेल रहे हैं।
– कोई खतरनाक गेम हो तो तुरंत बच्चों को इससे दूर करने की कोशिश करें।
इन गेम्स से बढ़ रहा खतरा
– द पासआउट चैलेंज
– नेक्नोमिनेट
– द कटिंग चैलेंज
– सॉल्ट एंड आइस चैलेंज

हेल्पलाइन नंबर का सहारा
ब्लू व्हेल गेम से बचने के लिए हेल्पलाइन नंबर 8376804102 जारी किया गया है। यदि कोई किसी गेम के चैलेंज में फंस गया है तो फोन करके मदद मांग सकता है।
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