अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि ‘मैंने अपने कॉलेज की कंैटीन में काम किया था। उस वक्त आधे घंटे में दो सौ पराठे बना देता था, आज सम्भव नहीं है। उन्हीं दिनों में मेरा पहला गाना ‘बाबाजी’ आया था। उस गाने के बाद मेरा नाम बाबा प्रचलित हो गया। हंसराज ने कहा, ‘मेरे यूट्यूब चैनल पर खरीदे हुए व्यूअर्स नहीं, स्वयं के हैं।
बॉलीवुड में काम के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक फिल्म के लिए गाना गाया है। अगर अनुकूल काम मिलेगा तो बॉलीवुड के लिए भी गायन करूंगा। अभी तक जो भी ऑफर हैं, अनुकूल नहीं लगे। अपने सभी गाने स्वयं लिखे हैं। गायन की शुरुआत पर उन्होंने कहा कि मेरे पिता धार्मिक गाने गाते थे, तो उन्हें सुनते हुए मेरे अंदर भी धर्म-अध्यात्म जगा। इसके बाद लिखने और गायन का सिलसिला शुरू हो गया।