लॉकर में रखी थीं अस्थियां
जानकारी के अनुसार पुरुषोत्तम कोष्टा के पिता रामलाल कोष्टा का 26 दिसंबर को निधन हो गया। 28 दिसंबर को खारी- फूल उठाने व अस्थि संचयन के बाद परिजनों ने कुछ अस्थियों का नर्मदा नदी में विसर्जन कर दिया। कुछ अस्थियों को परम्परागत तौर पर प्रयागराज ले जाना था। इस लिए इन अस्थियों को एक पोटरी में यहां रानीताल शमशान घाट के लॉकर में अस्थियां रखवा दिया गया था। शुक्रवार को परिजन इन अस्थियों को लेकर इलाहाबाद रवाना होने जा रहे थे।
फिर मचा हंगामा
कार्यक्रम के तहत शुक्रवार शाम करीब 4 बजे कोष्टा परिवार के लोग यहां रानीताल मुक्तिधाम पहुंचे। उन्होंने जैसे ही अस्थियों के लिए लॉकर नंबर 9 खोला तो इसमें किसी और के नाम की अस्थियां रखीं मिलीं। इन अस्थियों के साथ किसी और मृतक का नाम चस्पा था। इसको लेकर हंगामा खड़ा हो गया। लोगों ने रजिस्टर चेक किया तो आठ नम्बर के एक अन्य लॉकर पर ही दो लोगों के नाम दर्ज थे। पुरुषोत्तम ने आठ नम्बर वाले परिवार से सम्पर्क साधा तो पता चला कि वे इलाहाबाद पहुंच चुके हैं। उस परिवार ने बताया कि उसके पास उसकी ही अस्थियां हैं।
11 नंबर से मिली राहत
घटनाक्रम के दौरान जांच के लिए पुरुषोत्तम ने अपनी चाबी दूसरे लॉकर में लगायी तो 11 नम्बर का लॉकर खुल गया। उसमें उनके पिता की अस्थियां रखी हुई मिलीं। इसके बाद परिवारजनों ने राहत की सांस ली। अस्थियों की इस गफलत में कोष्टा परिवार सकते में आ गया था। परिवार के लोगों ने व्यवस्थापक के रवैए पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि यहां की व्यवस्था को दुरस्त किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय इस प्रकार की घटनाएं पहले भी कई बार सामने आ चुकी हैं।