जबलपुरPublished: Nov 02, 2017 01:14:00 pm
deepankar roy
हरिद्वार निवासी युवती की शिकायत पर एमपी के डीजीपी और भोपाल एसपी ने शुरू की जांच
Brother Sister Intimate In Train then attempt to murder
जबलपुर। हरिद्वार निवासी एक युवती ट्रेन से अपने मामा-मामी से मिलने के लिए पुणे जा रही थी। उसके साथ ममेरा भाई भी सफर कर रहा था। सफर में भाई के साथ होने से वह लंबी यात्रा में अपनी सुरक्षा को लेकर बिल्कुल निश्ंिचत थी। लेकिन बीच रास्ते में ही उसकी ममेरे भाई की हवस की भूख जाग गई। ट्रेन रात के वक्त जब भोपाल के करीब से गुजर रही थी उसी दौरान बर्थ पर सो रही अपनी बहन के साथ ममेरे भाई ने जबरदस्ती की। युवती के विरोध करने पर उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया।
पुणे पहुंचने पर मामी को बताई आपबीती
ट्रेन का सफर पूरा करके जब युवती पुणे में अपने मामा के घर पहुंची तो उसने रात में ट्रेन में हुई पूरी घटना अपनी मामी को बताई। युवती जब आपबीती सुना रही थी उसी दौरान उसके ममेरे भाई उसकी हत्या का प्रयास किया। इसमें युवती गंभीर रूप से घायल हो गई। वह उसी हालत में जैसे-तैसे पुणे के नजदीकी पुलिस स्टेशन पर पहुंची और पूरे मामले की शिकायत की। पुलिस ने जीरो पर प्रकरण दर्ज करके मामला भोपाल जीआरपी को भेजा। युवती को अस्पताल में भर्ती कराया।
जीआरपी की जांच में लापरवाही
युवती के साथ घटना 14 जुलाई 2015 को पुणे जाते वक्त ट्रेन में हुई। 15 जुलाई को पुणे पहुंचने पर उसने पुलिस को शिकायत दी। 21 जुलाई को पुणे पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या के प्रयास का दूसरा मामला दर्ज किया। पुणे पुलिस द्वारा भेजा गया मामला जीआरपी भोपाल ने 30 जुलाई 2015 को दर्ज किया। दो साल से जीआरपी मामले की जांच पूरी नहीं कर पायी है।
कोर्ट ने चार सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
जीआरपी द्वारा अभी तक जांच पूरी नहीं किए जाने को लेकर पीडि़ता ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई। इस मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान जीआरपी द्वारा की जा रही कार्रवाई पर नाखुशी जताते हुए जस्टिस वंदना कसरेकर की एकलपीठ ने मामले की जांच की जिम्मेदारी प्रदेश के पुलिस प्रमुख के साथ भोपाल एसपी को सौंपी है। साथ ही यह निर्देश भी दिए कि चार सप्ताह के भीतर वे अपनी जांच रिपोर्ट पेश करें।
अदालत ने माना जीआरपी की कार्रवाई नाकाफी
इस मामले पर जीआरपी की ओर से समय-समय पर स्टेटस रिपोर्ट पेश की गई। अदालत को बताया गया कि आरोपी पर इनाम घोषित किया गया, उसकी गिरफ्तारी के लिए कई टीमें बनाईं गईं। कई स्थानों पर दबिश दी गई, लेकिन आरोपी का कहीं कोई सुराग नहीं मिला। तमाम स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद अदालत ने जीआरपी की कार्रवाई को नाकाफी पाया और उससे जांच छीनने के आदेेश दिए।