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जबलपुर

वाह रे निगम की करनी, खुद बनाया-खुद ढहाया, पैसा लगता है इनको पानी

छोटी लाइन पर बना रहे थे बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति का ढांचा

जबलपुरFeb 05, 2019 / 01:47 am

shyam bihari

छोटी लाइन पर बना रहे थे बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति का ढांचा

छोटी लाइन पर बना रहे थे बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति का ढांचा

जबलपुर। छोटी लाइन चौराहे की रोटरी में बन रही बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति का ढांचा नगर निगम की टीम ने खुद ढहा दिया है। लगभग एक महीने की मशक्कत के बाद निगम की टीम ने ये ढांचा तैयार किया था। जिसमें हजारों रुपए खर्च किए गए। लोहे व स्टील के इस स्ट्रक्चर को बेल्डिंग करके तैयार किया गया था। अब प्रतिकृति का ढांचा ढहाए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब इस ढांचे को तोडऩा ही था तो फिर पहले क्यों बनाया गया।
आठ लाख रुपए खर्च
सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चौराहा में रोटरी के विकास से लेकर आईलैंड के विकास में 8 लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च की जा चुकी है। इसके बावजूद ढाई साल में चौराहा का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका।
प्रयोगशाला बना है चौराहा
छोटी लाइन चौराहा लगातार प्रयोगशाला बना हुआ है। पहले चौराहे के मुख्य रोटरी को अंडाकार बनाया गया। बाद में उसे तोड़कर गोलाकार बनाया गया। इसके बाद गोलाकार रोटरी में चारों ओर रंगीन टाइल्स लगाई गई। फिर टाइल्स को उखाड़ दिया गया। निगम के अधिकारी खुद भी नहीं समझ पा रहे हैं कि वे चौराहे को आखिर कैसा स्वरूप देना चाहते हैं।
विरोध के बाद तोड़ा ढांचा
छोटी लाइन चौराहा का नामकरण आदि शंकराचार्य के नाम पर किया गया है। जब रोटरी में बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति का निर्माण शुरू हुआ तो शहरभर में इसका विरोध शुरू हो गया। संतों ने भी निगम के इस फैसले का विरोध किया। कई धार्मिक, सामाजिक संगठन व निगम में विपक्ष ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया था।

चौराहा का नामकरण आदि शंकराचार्य के नाम पर हुआ है, ऐसे में सभी के अभिमत को देखते हुए निर्णय लिया गया कि रोटरी में बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति नहीं बनाई जाएगी। जल्दी ही चौराहे का विकास पूरा किया जाएगा।
स्वाति गोडबोले, महापौर

किसी भी निर्माण कार्य में तकनीकी पक्ष से लेकर अन्य आवश्यक पहलुओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। जिस प्रकार से छोटी लाइन चौराहा में बैलेंसिंग रॉक की प्रतिकृति बनाई जा रही थी, ऐसी मनमानी बंद होना चाहिए।
राजेश सोनकर, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम

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