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आग से झुलसे मरीजों का ये हाल जानकर आप भी दर्द से कराह उठेंगे

locationजबलपुरPublished: Apr 16, 2019 12:23:08 am

Submitted by:

deepankar roy

जिला अस्पताल का हाल, मेडिकल अस्पताल में भी मरीजों की मुसीबत

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जबलपुर. शहर में जब मई जैसी गर्मी अप्रैल में पड़ रही हो, लोग परेशान हो तब यदि आग से झुलसे मरीज को एसी और कूलर तक की हवा नहीं मिल रही है। सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव में गर्मी के बीच बर्न पेशेंट तड़प रहे है। विक्टोरिया जिला अस्पताल में अलग बर्न वार्ड है। इसे ठंडा रखने के लिए पखें, कूलर और एयर कंडीशनर है। लेकिन आधे एसी और कूलर खराब है। हर मरीज को न को तो एसी की ठंडक मिल रही है और न ही वे कूलर की हवा। एेसे में गर्मी बढऩे के साथ ही वार्ड में भर्ती मरीज का दर्द बढ़ रहा है। मेडिकल अस्पताल भी ओवरलोड और पृथक वार्ड नहीं होने से आग से झुलसे मरीजों की मुसीबत बढ़ गई है। सुविधाओं के अभाव में संक्रमण की आशंका के बीच मरीजों की जान खतरे में है। हालात को देखने वालों की भी रुह कांप जाती है।

जब से आए चलते नहीं देखा-

विक्टोरिया जिला अस्पताल में बर्न वार्ड में बेड ९, १० और ११ के एक केबिन में दो मरीज भर्ती है। भर्ती मरीजों की मानें तो वे मंगलवार को आए थे। तब से वहां का एसी बंद है। कूलर भी नहीं चलता है। यहां भर्ती एक मरीज का शरीर ६० फीसदी झुलसा हुआ है। सिर पर सिर्फ पंखा घूमता है। बिस्तर क्रमांक-५ में भर्ती मरीज के परिजन ने शिकायत के बावजूद एसी बंद होने की बात कही। वार्ड में ११ बिस्तर है। सात एसी और कूलर है। इसमें आधे अभी बंद है। दीवारों में नमी है। साफ-सफाई का अभाव है। आवाजाही पर पाबंदी नहीं है।

दूसरे मरीजों के साथ रखा जाता है-

सरकारी अस्पतालों में जिले में सिर्फ विक्टोरिया में बर्न वार्ड है। मेडिकल अस्पताल में आग से झुलसे मरीजों के लिए अलग से वार्ड नहीं है। वहां सर्जरी वार्ड में ही बर्न पेशेंट भर्ती किए जाते है। विक्टोरिया में वार्ड फुल होते ही मरीज मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिए जाते है। गर्मी में मरीज बढ़ रहे है। वार्ड में पहले से ही कुछ मरीज जमीन पर है। मरीजों का भार बढऩे और दूसरे मरीजों के साथ उन्हें रखें जाने से संक्रमण की आशंका होती है।

ये है स्थिति

– 10 मरीज जिला अस्पताल में भर्ती है

– 12 से ज्यादा मरीज मेडिकल अस्पताल में

– 01 हजार से ज्यादा हर साल मेडिकल व विक्टोरिया मिलाकर

(नोट: आग से झुलसे मरीजों की जानकारी)

सुविधा में कमी से मरीजों की जान पर संकट

– बर्न वार्ड में आइसीयू जैसी सुविधाएं और स्पेशलाइज्ड यूनिट होनी चाहिए।

– जहां बर्न पेशेंट रखे जाते है वहां पर साफ-सफाई पर विशेष ध्यान होता है।

– साफ गद्दे, चादर, धूल रहित कमरा और संक्रमण रहित वॉश रुम होना चाहिए।

– 40-40 फीसदी से अधिक जले मरीज में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

– संक्रमण न फैले इसलिए आम लोगों की आवाजाही की अनुमति नहीं होती है।

– उपचार सही होने के बावजूद संक्रमण का अंदेशा जानलेवा बन सकता है।

अधिकारियों ने बताया

जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. एसके पांडे के अनुसार अस्पताल में व्यवस्था में लगातार सुधार हो रहे है। बर्न वार्ड में यदि एसी, कूलर बंद होने की जानकारी लेंगे। मरीजों को बेहतर सुविधा सुनिश्चित की जाएगी। मेडिकल अस्पताल में अधीक्षक डॉ. राजेश तिवारी के अनुसार बर्न वार्ड बनाने की प्रक्रिया जारी है। कई जिले से मरीज गंभीर हालत में आते है। उन्हें लौटाने पर दिक्कत हो सकती है। प्रयास करते है कि मरीज को बेहतर इलाज और सुविधा मिले।

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