कारोबारी, मजदूर और नौकरीपेशा ज्यादा परेशान
ऑपरेटर्स मांगों पर अड़े, बसें शुरू नहीं होने से यात्री हो रहे हलाकान
शासन से बातचीत के बाद निर्णय
22 मार्च को लॉक डाउन किया गया। जिसके बाद बसों का संचालन बंद कर दिया गया। अनलॉक में बसों के संचालन की छूट प्रशासन ने दी। लेकिन ऑपरेंटर्स बसों का संचालन शुरू करने के लिए राजी नहीं हुई। उनका कहना था कि टैक्स माफ किया जाए और किराया बढ़ाया जाए। शासन ने आश्वासन दिया, इसके बावजूद बसों का संचालन ऑपरेटर्स ने नहीं शुरू किया।
जा रही आधी मजदूरी
मजदूरों को भी बसों के बंद होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। शहर में दमोह, सागर, मंडला, डिंडौरी, बालाघाट और अमरकंटक से मजदूर आते हैं। उनकी आधी कमाई किराए में ही जा रही है। वे छोटे वाहनों से आना-जाना कर रहे हैं। बसों के बंद होने का नुकसान छोटे व्यापारियों समेत नौकरीपेशाा पर भी पड़ रहा है। जो रोजाना विभिन्न शहरों से जबलपुर आते और यहां से आसपास के जिलों में जाते थे। बसों के बंद होने के कारण ऐसे लोगों के सामने रोजी रोटी का खतरा खड़ा हो गया है।
बसों का संचालन एक सितंबर से करने का आश्वासन बस ऑपरेटर्स ने दिया था। सारी व्यवस्थाएं कर लीं गई थीं, लेकिन ऑपरेटर्स ने बसें शुरू नहीं की।
– संतोष पॉल, आरटीओ
शासन ने टैक्स माफ करने और किराया बढ़ाने का आश्वासन तो दिया है, लेकिन इसका कोई नोटिफीकेशन जारी नहीं किया गया। जब तक नोटिफिकेशन नहीं आता, तब तक संचालन नहीं होगा।
– नसीम बेग, कोषाध्यक्ष, आइएसबीटी बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन