जबलपुर

शहर की लाइफ लाइन बसों के पहिये फिर थमने के आसार

-सहमति के बाद भी तय नहीं हो सका किराया-बस आपरेटर एसोसिएशन ने दी चेतावनी

जबलपुरOct 13, 2020 / 03:56 pm

Ajay Chaturvedi

बस आपरेटर संकट में स्टेशन में खड़ी बसें

जबलपुर. अब दोष चाहे जिसका हो पर शहरियों को एक बार फिर से मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। खास तौर पर वो जो रोजाना शहर की लाइफ लाइन इन बसों से सफर करते हैं। कारण मध्य प्रदेश बस आपरेटर एसोसिएशन और प्रदेश शासन के बीच समझौता होने के बाद भी अब तक किराया तय नहीं हो सका है। ऐसे में एसोसिएशन ने बसों का संचालन बंद करने का मूड बना लिया है। आशंका जताई जा रही है कि 17 अक्टूबर से फिर से बसों के पहिए थम सकते हैं। स्मरण रहे कि लॉकडाउन के चलते करीब छह माह तक खड़ीं रहीं बसें सितंबर से ही चलनी शुरू हुई थीं।
मध्य प्रदेश बस ऑपरेटर एसोएिशन के महामंत्री व किराया निर्धारण बोर्ड के सदस्य जय कुमार जैन ने परिवहन सचिव को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि कोरोना संक्रमण के कारण मार्गों पर यात्री नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में डीजल, टैक्स और चालक, परिचालक, हेल्परों के वेतन का खर्चा बस मालिक वहन नहीं कर पा रहे हैं। कई बस मालिकों की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। ऐसे में किराए में वृद्घि करना आवश्यक हो गया है। यदि 17 अक्टूबर तक बस किराए में वृद्घि नहीं की जाती तो बसों का संचालन बंद कर देंगे। बता दें कि जबलपुर से करीब 600 बसों का संचालन किया जाता है। फिलहाल कोरोना के चलते लगभग 150 बसों का संचालन ही हो रहा है।
बता दें कि 18 सितंबर को हुई किराया निर्धारण समिति की बैठक में एसोसिएशन ने पहले किलोमीटर पर 10 रुपये और उसके बाद डेढ़ रुपये प्रति किमी के हिसाब से किराया निर्धारित करने का प्रस्ताव दिया था। प्रस्ताव पर शासन की मुहर लग पाती उसके पहले उपचुनाव के चलते आचार संहिता लग गई और किराया प्रस्ताव अटक गया।
ये है संकट
-32 सीटर बसों का एक दिन 600 रुपये लग रहा टोल टैक्स
– 2 हजार रुपये चालक, परिचालक, हेल्पर में हो रहे खर्च
– जितना किराया नहीं मिल रहा उससे ज्यादा रकम डीजल में खर्च हो रही

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