लॉकडाउन के समय यात्री बसों के महाराष्ट्र तक आवाजाही में लगाया गया प्रतिबंध अभी तक जारी है। मप्र परिवहन विभाग ने महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के बीच यात्री बसों की आवाजाही की रोक 11 अगस्त तक है। इसके पीछे कोरोना संक्रमण का हवाला दिया गया है। प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों के कोविड-19 के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर पाया है कि अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिलों में कोरोना के मामले ज्यादा है। संक्रमण पर नियंत्रण के लिए दोनों राज्यों की सीमा में यात्री के बसों का संचालन प्रतिबंधित किया हुआ है।
दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक
प्रतिबंध के बीच दिन दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक प्रतिबंधित मार्ग पर बसों का बेधड़क संचाल हो रहा है। बताया जा रहा है कि नागपुर के लिए ज्यादातर बसें रात के समय में चल रही है। एक यात्री बस दिन में भी चल रही है। इस बस का स्पेयर टैक्स तक जमा नहीं है। प्रतिबंध होने से परमिट भी जारी नहीं किए जा रहे है। उसके बावजूद अवैध बसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
यूपी से महाराष्ट्र तक का फेरा
प्रतिबंध के बीच कुछ बसें उत्तर प्रदेश से शहर होकर महाराष्ट्र तक प्रतिदिन चल रही हैं। ये बसें देर रात शहर पहुंच रही हैं। नागपुर का सफर पूरा कर रही है। कई जिले और थाने को प्रतिदिन पार कर रही हैं। लेकिन, पुलिस जांच नहीं कर रही है। परिवहन विभाग की नजर से भी ये बसें दूर हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना की रोकथाम के लिए संक्रमण सम्बंधी संवेदनशील शहरों से आने वाले लोगों की एहतियातन रैंडम जांच कर रहा है। बस स्टैंड से भी यात्रियों के नमूने लेकर जांच कराई जा रही है। लेकिन, नागपुर से आने वाली बसों के अवैध संचालन के कारण स्वास्थ्य विभाग की टीम इसके यात्रियों के नमूने नहीं ले पा रही। ये बसें यात्रियों को बस अड्डे के बाहर ही उतार देती हैं। ऐसे में यात्रियों की जांच के अभाव में संक्रमण के फैलाव का खतरा बना हुआ है।