फर्जी वेबसाइट के जरिए ढूंढ़ते थे शिकार
पुलिस के मुताबिक आरोपी मुख्य रूप से 10वीं और 12वीं क्लास में फेल होने वाले विद्यार्थियों को टारगेट करते थे। 10वीं-12वीं की परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को तलाशने के लिए आरोपियों ने एक फर्जी वेबसाइट भी बना रखी थी। पुलिस को जिन तीन आरोपियों को पकड़ा है उनके नाम प्रेमकुमार, संजय यादव और अजय विश्वकर्मा हैं जिनके पास से फर्जी मार्कशीट बनाने के दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि जब शिकार पूरी तरह से आरोपियों के झांसे में आ जाता था तो वो उसे 20-30 हजार रुपए में फर्जी मार्कशीट बनाकर देते थे। इतना ही गिरोह ने यूपी और पीजी के कई फेल छात्रों को भी फर्जी मार्कशीट बनाकर बेची है।
ऐसे हुआ खुलासा
पुलिस के मुताबिक फर्जी मार्कशीट बनाकर बेचने वाले इस गिरोह के शिकार एक युवक ने बीते दिनों नौकरी के लिए आवेदन दि़या। दस्तावेजों की जांच करने पर पता चला कि उसकी मार्कशीट फर्जी है जिसके बाद युवक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और उसी युवक से मिले पुख्ता इनपुट के आधार पर पुलिस फर्जी मार्कशीट बनाने वाली इस गैंग तक पहुंच पाई। फिलहाल पुलिस गिरफ्त में आए तीनों आरोपियों से सख्ती से पूछताछ कर ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी कितने सालों से फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कर रहे थे और अब तक कितने लोगों को अपना शिकार बनाकर फर्जी मार्कशीट दे चुके हैं। संभावना जताई जा रही है कि आरोपियों के तार दूसरे राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं और इनकी गैंग में और भी सदस्य होने की उम्मीद है।