देनी है तो दो डिग्री हम तो नहीं आएंगे
दीक्षांत में उपाधि प्राप्त करने वाले कई छात्र रिहर्सल में ही शामिल नहीं हुए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से कह दिया कि वे पहले से नहीं पहुंचेगे। यदि उन्हें 14 मार्च को उपाधि देनी है तो दो वर्ना हम नहीं आएंगे। जानकारों के अनुसार दरअसल विश्वविद्यालय प्रशासन ने दीक्षांत की तिथि तय करने में देरी की। कुछ दिनों पूर्व ही उपाधि धारकों को जानकारी भेजी। शहर से बाहर जॉब में होने के कारण अवकाश नहीं ले सके।
सरकार बदली मानद उपाधि लटकी
मानद उपाधि इस बार किसी को नहीं दी जाएगी। एक खेमे के कुछ लोगों के नाम मानद उपाधि के लिए प्रस्तावित किए गए। कांग्रेसी खेमे से पूर्व मुख्यमंत्री का नाम प्रस्तावित कर दिया गया। सरकार बदलने के बाद विवाद की स्थिति निर्मित होने को देखते हुए विविव प्रशासन के हाथ पांव फूलने लगे। अंतत: उपाधि के निर्णय को ही खारिज कर दिया गया।
घटिया खाने के चलते उठे सवाल
पूर्व में हुए दीक्षांत के दौरान घटिया खाने को लेकर विवि प्रशासन पर आरोप लग चुके हैं। जबकि खान पान के नाम पर लाखों रुपए बजट में प्रावधान किया गया है। छात्रों से व्यवस्थाओं के नाम पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मोटी राशि वसूली जाती है लेकिन इसके बाद भी दोएम दर्जे की व्यवस्थाओं से विवि की किरकिरी होती आ रही है।
-मानद उपाधि के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया लेकिन विवि प्रशासन ने मंजूर नहीं किया जिसकी वजह सत्ता परिवर्तन है। विवि में कोई भी विधिवत तैयारी नहीं है पहले से छात्रों को जानकारी नहीं दी गई। छात्रों द्वारा उंगलियां उठाई जा रही है।
-रघु तिवारी, प्रदेश सहसचिव एनएसयूआई
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-दीक्षांत में मानद उपाधि इस बार नहीं दी जा रही है। यदि छात्रों को ड्रेस महंगी लग रही है और कोई दिक्कत है तो वह नहीं ले। कुछ कारणों के चलते कुछ छात्र शामिल नहीं हो रहे हैं।
-प्रो.सीएसएस ठाकुर, संयोजक दीक्षांत आयोजन समिति