अर्जी में कहा गया कि सिंधिया ने 2020 में राज्यसभा सांसद के लिए दाखिल नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण की जानकारी नहीं दी। इसके लिए सिंधिया पर एफआईआर दर्ज की जाए।
मोरार, ग्वालियर निवासी कांग्रेस नेता गोपीलाल भारती की ओर से यह आपराधिक पुनरीक्षण की अर्जी प्रस्तुत की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता संजय अग्रवाल व अधिवक्ता कुबेर बौद्ध ने कोर्ट को बताया कि सिंधिया ने राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने के साथ जो शपथ पत्र प्रस्तुत किया है, उसमें तथ्यों को छुपाया गया।व्यापम कांड में सितंबर 2017 में भोपाल की विशेष अदालत के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं कमलनाथ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सिंधिया ने इसकी जानकारी नामांकन के साथ पेश शपथपत्र में नहीं दी। इसकी शिकायत पुलिस से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई। इस पर सांसद विधायकों की विशेष अदालत में आवेदन दाखिल कर सिंधिया के खिलाफ भादवि की धारा 177, 181, 182, 281, 420, 465, 471, 120 बी एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का आग्रह किया गया। लेकिन यह आवेदन विशेष कोर्ट ने 8 जुलाई 2020 को निरस्त कर दिया। इसी आदेश को पुनरीक्षण याचिका में चुनौती दी गई। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी व शासकीय अधिवक्ता यश सोनी ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 154(3) के तहत एसपी को आवेदन देने का विकल्प शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध है। इस पर कोर्ट ने एसपी को आवेदन देने की छूट देकर याचिका निराकृत कर दी।