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मेडिकल कॉलेज: जांच रिपोर्ट मिलने में हो रहा है विलम्ब
मरीजों को तुरंत नहीं मिल पा रहा पूरा उपचार
लैब में लंबी कतार, रिपोर्ट का चक्कर
लैब में दोगुना भार
सेंट्रल लैब में अभी 12 लैब टेक्नीशियन हैं। इनमें भी एक-दो टेक्नीशियन आमतौर पर अवकाश पर रहते हैं। सूत्रों के अनुसार यह टेक्नीशियन अलग-अलग पारी में काम करते है। हर दिन 11 टेक्नीशियन के जांच में जुटे रहने पर भी मानकों के मुताबिक एक दिन में अधिक 440 नूमनों की जांच होना चाहिए। जबकि, सेंट्रल लैब में अभी हर दिन औसतन सात सौ से नौ सौ मरीजों के नमूनों की जांच हो रही है।
गरीब और गांवों के मरीज परेशान
मेडिकल अस्पताल में बड़ी संख्या में गरीब, गांव और आसपास के जिलों से मरीज उपचार कराने के लिए आते हैं। इन मरीजों को दो घंटे में मिलने वाली रिपोर्ट एक दिन बाद मिलने से परेशानी झेलना पड़ती है। अमरपाटन के दुर्गेश तिवारी बताते है कि उनकी पत्नी का बुखार ठीक नहीं हो रहा था। डॉक्टर ने खून की जांचें कराने के लिए कहा। रिपोर्ट दोपहर तक नहीं मिली। इस कारण एक दिन तक उनकी पत्नी का जूनियर डॉक्टर इलाज करते रहे। कैंसर के संदिग्ध मरीजों की सांसें भी रिपोर्ट में लम्बे इंतजार के कारण कई दिनों तक सांसत में फंसी रहती है। दूसरे शहरों से आने वाले कई मरीज रहने-खाने का खर्च नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट का इंतजार किए बिना अधूरा इलाज कराकर ही लौट जाते हैं।
एक दिन में अधिकतम 40 जांच
विशेषज्ञों के अनुसार रक्त के सामान्य परीक्षण की प्रक्रिया भी लम्बी है। इसमें एक लैब टेक्नीशियन रक्त के नूमने को लेकर पहले स्लाइड तैयार करता है। उसके बाद स्मेयर, स्कैन, रजिस्ट्रेशन, मरीज की एंट्री और फिर सीट पर जांच के निष्कर्ष को दर्ज करता है। इस प्रक्रिया के नियमानुसार पालन से सात से आठ घंटे की ड्यूटी के दौरान एक टेक्नीशियन औसतन 35-40 नूमनों की जांच करके रिपोर्ट तैयार कर पाता है।
अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उसके हिसाब से सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। सेंट्रल लैब में जांच के मामले की जानकारी ली जाएगी। मरीजों को समय पर रिपोर्ट उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
डॉ. नवनीत सक्सेना, डीन, मेडिकल कॉलेज