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जबलपुर

यहां कैंसर से जूझ रहे हजारों, उधर आर्थिक संकट के पंजे में कसमसा रहा संस्थान

जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में अनुदान का अड़ंगा, छह साल में भी नहीं बना स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट
 

जबलपुरJun 07, 2020 / 08:47 pm

shyam bihari

cancer

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जबलपुर। कैंसर के नए मामले जबलपुर शहर में भी लगातार सामने आ रहे हैं। यहां मेडिकल कॉलेज के कैंसर अस्पताल में तीन साल में आठ हजार से ज्यादा नए कैंसर पीडि़त पंजीकृत हुए। इनके उपचार के लिए आधुनिक जांच और सिंकाई मशीनों की जरूरत है। लेकिन एनएससीबीएमसी में प्रदेश के सबसे आधुनिक कैंसर संस्थान को बनाने की धीमी गति से पीडि़तों की उम्मीद टूट रही है। छह वर्ष बाद भी स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का भवन निर्माण पूरा नहीं हो सका है। केन्द्र और राज्य सरकार की संयुक्त भागीदारी से बन रहा इंस्टीट्यूट लगातार आर्थिक संकट का शिकार है। कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के कारण इंस्टीट्यूट को पर्याप्त अनुदान मुहैया नहीं हो पा रहा है। इससे वर्षों बाद भी योजना अधूरी है। अंचल की बड़ी ग्रामीण और गरीब आबादी आधुनिक जांच और उपचार की सुविधा के लिए भटक रही है।
लगातार बढ़ रहे कैंसर पीडि़त
वर्ष -संख्या
2013- 1800
2017 -2400
2018 – 2800
2019 – 3000
(नोट-एनएससीबीएमसी में पंजीकृत मरीज।)
यह है स्थिति
– 150 से ज्यादा मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आ रहे
– 10 से ज्यादा कैंसर पीडि़त प्रतिदिन जांच में मिल रहे
– 50-60 प्रतिशत इसमें मुख, स्तन, गर्भाशय कैंसर के
– 25-35 प्रतिशत में गॉल ब्लैडर कैंसर
सबसे ज्यादा ओरल कैंसर
मेडिकल कॉलेज के कैंसर अस्पताल में सम्भाग के जिलों के अलावा आसपास के अंचल के मरीज भी जांच के लिए आते है। जांच में सबसे ज्यादा मुख कैंसर के मरीज मिल रहे हैं। इससे पीडि़त पुरुष ज्यादा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली महिलाए गर्भाशय और शहरी क्षेत्र की महिलाओं में स्तन कैंसर के लक्षण मिल रहे हैं। हाल में गॉल ब्लैडर कैंसर के मामले बढ़े हैं। इसके पीडि़तों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है। इसके लक्षण मरीज को काफी बाद में पता चल रहे हैं। ज्यादातर केस चौथी स्टेज पर आ रहे हैं। इससे रिकवरी मुश्किल हो रही है। कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि पहली और दूसरी स्टेज में कैंसर का पता चलने पर यह पूरी तरह से नियंत्रित हो जाता है। जांच में लंग, किडनी और बच्चों में ब्लड कैंसर के मरीज भी मिल रहे हैं।
स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट
– 2014 में संस्थान को स्वीकृति
– 120 करोड़ रुपए की योजना थी
– 40 करोड़ से भवन का निर्माण
– 80 करोड़ रुपए उपकरण के लिए
– 02 सौ बिस्तर होंगे अस्पताल में
ये सुविधाएं होंगी
– लीनियर एक्सेलेटर मशीन, यह कोबाल्ड की अत्याधुनिक तकनीक है।
– शोध करना संभव होगा। पीडि़तों को आधुनिक व बेहतर उपचार मिलेगा।
– एंडोस्कोपी, ब्रांकोस्कोपी, कोलोस्कोपी, काल्पोस्कोपी सहित सभी तरह के उपकरण।
– कैंसर के विशेषज्ञ चिकित्सक, एकस्ट्रा स्किल्ड टेक्नीशियन और स्टाफ।
– आधुनिक ऑपरेशन थिएटर और अत्याधुनिक आइसीयू रहेंगे।

इन लक्षणों की अनदेखी न करें
– स्तन या शरीर के किसी हिस्से में गठान
– मुंह न खुलना, छाले या घाव नहीं भरना। मुंह से बदबू आना
– असमान्य रक्तस्त्राव, शौच की आदतों में परिवर्तन
– तिल, मस्से या चर्म दाग की स्थिति में परिवर्तन
– वजन कम होना, खाना निगलने में तकलीफ होना
– आवाज में भारीपन या बदलाव होना
– पेट में लगातार दर्द और जलन

कैंसर का बन रहे कारण
– मिलावटी और पेस्टीसाइड युक्त् सामग्री
– प्रदूषित जल, पर्यावरण की समस्याएं
– असंतुलित एवं अनियमित खानपान
– तम्बाकू-गुटाखा और शराब का सेवन
– धूम्रपान, प्रदूषित हवा का वातावरण

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