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नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कॉलेज में नए सोर्स की आपूति
अब शुरू हुई जबलपुर में ये सुविधा
आखिरकार सुलझ गया ब्रेकी थैरेपी का पेंच
मरीजों को नहीं जाना पड़ेगा मुम्बई व भोपाल
जीएसटी के बाद खींच लिए थे हाथ- ब्रेकी थैरेपी में इस्तेमाल होने जाने वाला सोर्स (आइ रेडियम-192) बेहद संवेदनशील होता है। इसे लेकर ऑटोमिक एनर्जी रेग्यूलेरिटी बोर्ड (एइआरबी) ने कड़े प्रावधान किए है। सोर्स के उपयोग के बाद उसके समुद्र में होने वाले विनिष्टीकरण की प्रक्रिया पर भी एजेंसी की निगरानी होती है। जीएसटी के सितम्बर, 2018 में प्रभावशील होने और नए नियमों के फेर में सोर्स का परिवहन महंगा हो गया था। इसके चलते अनुबंधित कंपनी ने मेडिकल कॉलेज में यूज्ड सोर्स के डिस्पोजऑफ के लिए नहीं ले जा रही थी। इस वजह से एइआरबी ने सोर्स की आपूर्ति की अनुमति नहीं दे रही थी।
तब जाकर मिली अनुमति
सोर्स की आपूर्ति करने वाली विदेशी फर्म का अनुबंध केंद्रीय स्तर है। सूत्रों के अनुसार जीएसटी का मामला उलझने पर प्रकरण कॉलेज और कैंसर अस्पताल के अधिकारियों के हाथ से निकल गया था। शिकायत केंद्रीय स्तर तक पहुंचने के बाद कंपनी अनुबंध शर्तों पर विचार हुआ। इस दौरान मेडिकल कॉलेज में दो यूज्ड सोर्स इकठ्ठे हो गए थे। नियमानुसार यूज्ड सोर्स के विनिष्टीकरण की प्रक्रिया शुरू होने पर नए सोर्स की अनुमति मिलती है। मामला सुलझने के बाद पिछले महीने कंपनी दोनों यूज्ड सोर्स विनिष्टीकरण के लिए ले गई। तब जाकर नए सोर्स की आपूर्ति हो सकी।
मरीजों को अब समस्या नहीं है। सोर्स की आपूर्ति हो चुकी है। ब्रेकी थैरेपी शुरू कर दी गई है।
डॉ. लक्ष्मी सिंगोतिया, अधीक्षक, कैंसर अस्पताल, एनएससीबीएमसी