scriptकैंसर की मशीन में फंसा खतरनाक रेडियो एक्टिव पदार्थ, संकट में मरीज | cancer treatment, cancer therapy, medical college, AERB, nscb medical | Patrika News

कैंसर की मशीन में फंसा खतरनाक रेडियो एक्टिव पदार्थ, संकट में मरीज

locationजबलपुरPublished: Sep 14, 2019 09:32:48 pm

Submitted by:

deepankar roy

राज्य सरकार की लापरवाही से मेडिकल कॉलेज में कैंसर रोगियों के उपचार में परेशानी

cancer treatment in india,Free Cancer Treatment,cancer treatment exercise,cancer,cancer awareness,cancer hospitals,cancer drug,medical college,AERB ,best cancer hospital ,best cancer hospital in india ,Jabalpur,latest news in hindi,nscb medical college,

cancer

जबलपुर. राज्य सरकार की अनदेखी से नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (medical collage) में कैंसर(cancer) मरीजों के लिए जरुरी सिंकाई(थेरेपी) समय पर नहीं हो पा रही है। कैंसर अस्पताल (cancer hospital) में मरीजों की थैरेपी (therapy) के लिए तीन मशीन है। इसमें एक कोबाल्ट टेलेथेरेपी मशीन में सोर्स टूटकर फंस गया था। तीन महीने बाद भी ये सोर्स मशीन से निकाला नहीं जा सका है। मरीजों की सिंकाई (therapy) बंद है। तीन महीने से टेलेथैरेपी (teletherapy) मशीन बंद होने के बाद अब सोर्स नहीं मिलने से ब्रेकी थेरेपी (therapy) भी नहीं हो पा रही है। मरीजों को थेरेपी (therapy) के लिए भोपाल, मुंबई सहित दूसरे शहर तक जाना पड़ रहा है। निजी अस्पताल में थेरेपी (therapy) महंगी होने से गरीब मरीज परेशान है।

पुराना डिस्पोजऑफ नहीं होने से नहीं मिला नया सोर्स-

कैंसर(cancer) की थेरेपी (therapy) में इस्तेमाल वाला सोर्स बेहद संवेदनशील (रेडियोएक्टिव तत्व के कारण) होता है। इसलिए ऑटोमिक रेग्यूलेरिटी बोर्ड (एआरबी) ने सोर्स के इस्तेमाल के कड़े प्रावधान किए हैं। थेरेपी (therapy) में इस्तेमाल के बाद सोर्स का निर्धारित प्रक्रिया के तहत समुद्र में विनिष्टीकरण होता है। पुराने सोर्स को डिस्पोजऑफ करने पर ही नए सोर्स की आपूर्ति का एइआरबी स्वीकृति प्रदान करती है। टेलेथेरेपी (teletherapy) मशीन में फंसा सोर्स नहीं निकल पाने से उसका विनिष्टीकरण नहीं हो पाया है। उसके उपयोग की अवधी बीत चुकी है। इस फेर में ब्रेकी थेरेपी (therapy) के लिए नए सोर्स आपूर्ति रुक गई है। सोर्स के अभाव में ब्रेकी थेरेपी भी बंद हो गई है।

जरुरत तीन की, दो में भी एक खराब

मेडिकल(medical) के कैंसर अस्पताल(cancer hospital) में थेरेपी के लिए आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जानकारों के अनुसार दो टेलेथेरेपी (teletherapy) मशीन को मिलाकर एक दिन में औसतन 100-120 मरीजों की थेरेपी की क्षमता है। इसमें एक मशीन खराब है। इस मशीन के पुराना होने के कारण उसके पार्ट्स भी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते है। अभी 60-70 मरीजों की थेरेपी हो पा रही है। जबकि जरुरतमंद मरीजों की संख्या प्रतिदिन औसतन डेढ़ सौ के पार हो चुकी है। इस लिहाज से तीन मशीन की आवश्यकता है। लेकिन दो में भी एक महीनों से बंद है। डीन डॉ. पीके कसार के अनुसार सुधार के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जा चुका है। जल्द ही समस्या का निराकरण हो जाएगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो