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cancer treatment : नीदरलैंड ने रुकवाई मप्र में कैंसर की जांच, ये है वजह

locationजबलपुरPublished: Sep 05, 2018 11:09:59 am

Submitted by:

Lalit kostha

नीदरलैंड ने रुकवाई मप्र में कैंसर की जांच, ये है वजह
 

Operation: Giving Life to Cancer-Woman

Operation: Giving Life to Cancer-Woman

जबलपुर. कैंसर की स्पेशल थैरेपी के लिए जरूरी सोर्स की आपूर्ति करने वाली कंपनी के साथ सरकार का कॉन्ट्रैक्ट उलझने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्रेकी थैरेपी बंद हो गई है। डेढ़ साल पहले ही जमर्नी से आई आधुनिक मशीन से कैंसर मरीजों की थैरेपी शुरू हुई थी। सोर्स के अभाव में ढाई करोड़ रुपए की थैरेपी मशीन तीन माह से धूल खा रही है। ब्रेकी थैरेपी के लिए महाकोशल के इस एकमात्र केंद्र में ठप सुविधा का खामियाजा कैंसर से जूझ रहे मरीज भुगत रहे है। थैरेपी कराने के लिए भोपाल, मुंबई सहित दूसरे शहर जाना पड़ रहा है। प्राइवेट अस्पतालों में थैरेपी महंगी होने से कई मरीज मुसीबत में हैं।

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नीदरलैंड की कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट उलझने से अस्पताल में सोर्स की आपूर्ति ठप
मेडिकल में ब्रेकीथैरेपी पर लगा ‘ब्रेक’ कैंसर पीडि़तों को हो रही है परेशानी

नियम-शर्तों के पेंच –
ब्रेकी थैरेपी के लिए इस्तेमाल होने वाला सोर्स (आइ रेडियम-192) बेहद संवेदनशील (रेडियोएक्टिव तत्व के कारण) होता है। इसलिए ऑटोमिक एनर्जी रेग्यूलेरिटी बोर्ड (एइआरबी) ने सोर्स के इस्तेमाल के कड़े प्रावधान किए हैं। इस्तेमाल के बाद भी सोर्स का निर्धारित प्रक्रिया के तहत समुद्र में विनिष्टीकरण होता है। पुराने सोर्स को डिस्पोजऑफ करने पर ही नए सोर्स की आपूर्ति का एइआरबी स्वीकृति प्रदान करती है। सूत्रों के अनुसार जीएसटी लागू होने के बाद सोर्स भेजने वाली नीदरलैंड की कंपनी पुराने रेट पर आपूर्ति को तैयार नहीं है। कॉलेज का यूज्ड सोर्स भी कंपनी लेकर नहीं जा रही है। इससे नया सोर्स आने का मामला अटक गया है।

 

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प्रबंधन के दायरे से बाहर –
कॉलेज में ब्रेकी थैरेपी के लिए सोर्स सरकार की ओर से चिन्हित एजेंसी से लिया जाता है। सरकार की चिन्हित विदेशी कंपनी के आपूर्ति से हाथ खींचने से संकट गहरा गया है। रेडियोएक्टिव तत्वों के उपयोग पर निगरानी वाली एइआरबी ने यूज्ड सोर्स के विनिष्टीकरण के बिना नए सोर्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।

थैरेपी समय पर नहीं होने से परेशानी
– मरीज का वजन घटने लगता है।
– शरीर में रासायनिक परिवर्तन।
– सांस लेने में कठिनाई होती है।
– जल्द थकान महसूस होती है।
– संक्रमण अन्य भाग में फैलता है।
– मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र में समस्या।

इसलिए खास
कैंसर विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेकी थैरेपी से मरीजों को थैरेपी के अन्य तरीकों के मुकाबले शरीर पर विकरणों से कम नुकसान होता है। ब्रेकी थैरेपी में निडिल के जरिए केवल ट्यूमर सेल पर रेडिएशन डाला जाता है। इससे ट्यूमर वाले भाग के आस-पास के अंग (टिश्यू) प्रभावित नहीं होते। थैरेपी के अन्य तरीकों में ट्यूमर को विकरण किरणों से मारने पर पेशाब, मल के माध्यम से खून आने का खतरा रहता है। चिकित्सकों के अनुसार ब्रेकी थैरेपी को गर्भाशय, प्रोस्ट्रेट, ब्रेस्ट और मुंह के कैसर में भी कारगार माना जाता है। मेडिकल कॉलेज में अभी बच्चेदानी में कैंसर के पीडि़तों को ही ब्रेकी थैरेपी दी जा रही थी।

यह है स्थिति
2.5 करोड़ रुपए की ब्रेकी थैरेपी की मशीन
03 महीने से ब्रेकी थैरेपी बंद
03 मरीज की रोज होती थी ब्रेकी थैरेपी
72 दिन के करीब थैरेपी होती है एक सोर्स से
02 सोर्स (यूज्ड) कॉलेज के स्टोर में अभी
09 हजार रुपए तक निजी अस्पताल में थैरेपी फीस
05 बार न्यूनतम एक मरीज की होती है थैरेपी
33 हजार के लगभग कैंसर मरीज कॉलेज में पंजीकृत
500 से अधिक नए मरीज हर साल आ रहे सामने

कैंसर की स्पेशल थैरेपी मशीन बंद होने की जानकारी नहीं है। सोर्स की आपूर्ति जल्द सुनिश्चित कराई जाएगी। कैंसर मरीजों की शहर में ही थैरेपी हो, यह प्रयास किए जाएंगे।
– शरद जैन, चिकित्सा शिक्ष एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री

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