scriptworld malaria day: गर्मी में ठंडक देने वाले कूलर से फैल रही ये घातक बीमारी | causes of malaria disease and treatment | Patrika News

world malaria day: गर्मी में ठंडक देने वाले कूलर से फैल रही ये घातक बीमारी

locationजबलपुरPublished: Apr 25, 2018 07:22:26 am

Submitted by:

deepankar roy

शहर में प्लाज्मोडिएम वाइवेसक्स के पीडि़तों की संख्या बढ़ी

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जबलपुर। गर्मी में ठंडक का अहसास देने वाला कूलर लोगों को इस बीमारी की चपेट में ला सकता है। इसमें लंबे समय तक पानी नहीं बदले जाने से कूलर में मच्छर के लार्वा पनप रहे है। जिससे लोग मलेरिया का शिकार हो रहे है। इस बीमारी पर नियंत्रण और लोगों को जागरुक करने के लिए इस बार मलेरिया दिवस की थीम ‘रेडी टू बीट मलेरियाÓ रखी गइ है।
मलेरिया जानलेवा हो सकता है। जरूरत है कि इसे खत्म किया जाए। इससे बचाव ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। शहर में हर साल मलेरिया के कई केसेज आते हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा मामले प्लाज्मोडिएम वाइवेसक्स मलेरिया के होते हैं। शहर में प्लाज्मोडिएम फेल्सीफेरम के मरीज कम है। इन दोनों प्रकार के मलेरिया में प्लाज्मोडिएम फेल्सीफेरम सबसे ज्यादा खतरनाक है। इनसे बचने के लिए अवेयरनेस जरूरी है।

जिले की स्थिति
वर्ष- मलेरिया के मरीजों की संख्या
२०१५ ३७४
२०१६ ३७४
२०१७ ३१६
२०१८ अब तक ५ केस

मलेरिया के लक्षण
– सर्दी व कंपन के साथ बुखार
– उल्टियां और सिरदर्द
– पसीना आकर बुखार उतरना।
– बुखार उतरने के बाद थकान व कमजोरी लगना।
– मलेरिया बुखार में क्या करें
– बुखार आने पर तुरंत रक्त की जांच करवाएं।
– मलेरिया की पुष्टि होने पर पूरा उपचार लें।
– खाली पेट दवाई न लें।
– मलेरिया के लिए खून की जांच व उपचार सुविधा सभी शासकीय अस्पतालों पर निशुल्क उपलब्ध है।

जटिल जीवन चक्र, चार स्टेज
मच्छरों का जीवन चक्र बेहद जटिल होता है, जिसे समाप्त करना कठिन है। केवल मच्छर को मार देने से ही समस्या समाधान नहीं है, क्योंकि मच्छरों का जीवन चार चक्रों में बंटा है। पहले अंडे बनते हैं, फिर लार्वा बनता है, फिर प्यूपा की स्टेज आती और अंतर में एडल्ट। यदि आपने में केवल मच्छर को खत्म को कर दिया तो अंडे, लार्वा और प्यूपा एक सप्ताह तक पानी में रहते हैं, जो कि आपको बीमारी की चपेट में ले सकते हैं।

जमा न होने दें पानी
मच्छर पानी के वाले स्थानों पर पनपते हैं। उन्हें एेसा माहौल न दें, जिस वजह उनकी संख्या बढ़े। एक मादा एनाफिलीज मच्छर एक बार में दो सौ 250 अंडे देती है। इसके लिए कम्यूनिटी अवेयरनेस की जरूरत है, क्योंकि इसकी रेंज आधा किमी तक होती है। इतनी रेंज में यदि कहीं पानी का सोर्स है तो मच्छर प्रभावित करेंगे। इसके लिए जरूरत अवेयरनेस की है। यदि हर व्यक्ति जागरूक हो जाए तो इससे बचा जा सकता है।

अवेयरनेस की जरुरत
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. नीता मिश्रा के अनुसार मच्छरों की ब्रीडिंग पानी में होती है। बरसात में इन्हें सबसे अच्छा वातावरण मिलता है। लोगों के बीच अवेयरनेस की जरूरत है। वे एक सप्ताह से ज्यादा जमा पानी को बदल लें। इसके लिए कम्यूनिटी अवेयरनेस की जरूरत है। जिले में केसेज की संख्या कम हुई है। हालांकि मंडला, डिंडौरी में संख्या अधिक है।

ये करें
छत एवं घर के आसपास अनुपयोगी सामग्री में पानी जमा न होने दें।
सप्ताह में एक बार अपने टीन, डिब्बा, बाल्टी का पानी खाली करें, अच्छी तरह सुखाने के बाद ही भरें।
सप्ताह में एक बार अपने कूलर का पानी खाली कर दें, फिर सुखाकर भरें।
पानी के बर्तन, टंकियों को ढंक कर रखें।
हैंडपम्प के आसपास पानी एकत्रित न होने दें। घर के आसपास के गड्ढों को मिट्टी से भर दें। पानी भरे रहने वाले स्थानों पर मिट्टी का तेल या जला हुआ इंजन का तेल डालें।

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