सीसीटीवी लगाने के लिए करार
एमसीआइ ने मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी और सिस्टम इंस्टालेशन के लिए एक निजी फर्म से करार किया है। यह फर्म सभी मेडिकल कॉलेज को जरूरी उपकरण मुहैया कराएगी। सूत्रों के अनुसार एमसीआइ के आदेश के बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में भी सीसीटीवी लगाने की कवायद शुरू हो गई है।
गड़बड़ी नहीं कर सकेंगे कॉलेज
एमसीआइ की क्लासरूम के साथ ओपीडी को सीसीटीवी कैमरे से लैस करने की योजना है। इन कैमरों की कंट्रोलिंग का सर्वर एमसीआइ मुख्यालय में रहेगा। वहां, बैठे अधिकारी जब चाहेंगे अपने डेस्कटॉप पर क्लासरूम और ओपीडी का हाल देख सकेंगे। विजुअल के साथ ही ऑडियो होने के कारण प्रोफेसर के लेक्चर और ओपीडी में मरीज एवं चिकित्सक के बीच संवाद भी सुन सकेंगे।
लिंक शेयर करने का प्रस्ताव
एमयू के निर्देश के बाद प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद पहले ही शुरू हो चुकी है। भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के क्लासरूम और एग्जामिनेशन हॉल में सीसीटीवी लगाए जा चुके हैं। ऑनलाइन निगरानी की प्रक्रिया एक जैसी होने से एमयू ने एमसीआइ को लिंक शेयरिंग का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत सीसीटीवी कैमरे के एक ही सेटअप से कनेक्ट होकर दोनों सस्थानों के मुख्यालय से कॉलेजों पर निगरानी हो सकेगी। इससे कॉलेजों पर ऑनलाइन सिस्टम इंस्टाल करने का दोहरा भार नहीं पड़ेगा।
ये होगा फायदा
कक्षाओं से शिक्षक और छात्र-छात्राएं गायब नहीं रह सकेंगे।
शिक्षकों के पढ़ाने, समझाने के तरीके की निगरानी हो सकेगी।
ओपीडी में मरीजों की संख्या, उपचार का क्रॉस वेरीफिकेशन।
जांच के लिए बार-बार अलग-अलग टीम भेजना नहीं पड़ेगा।
सर्वर मुख्यालय में रहेंगे, इसलिए सिस्टम में छेड़छाड़ नहीं होगी।
कॉलेज किसी भी प्रकार की गलत जानकारी को तुरंत पकड़ लिया जाएगा।
रैकिंग सहित छात्र-छात्राओं की कोई भी गलत हरकत रेकॉर्ड हो जाएगी।
यूनिवर्सिटी से संबद्ध समस्त कॉलेजों में सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एमसीआइ की ओर से मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए है। इसे देखते अलग-अलग कैमरे न लगाकर लिंक शेयरिंग पर आर्थिक व्यय कम होगा। इस संबंध में एमसीआइ को प्रस्ताव दिया है।
डॉ. आरएस शर्मा, कुलपति, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय