जबलपुरPublished: Sep 26, 2019 11:04:35 pm
prashant gadgil
हाईकोर्ट ने दिया चार सप्ताह का समय, नोटा सहित चुनाव संबंधी अन्य वर्तमान प्रावधान भी नियमों में शामिल करने की मांग
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जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को यह बताने के लिए मोहलत दे दी कि केन्ट बोर्ड के चुनाव इलेक्ट्रॅनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से क्यों नहीं क राए जा रहे? बोर्ड के चुनाव नियमों में नोटा व प्रत्याशियांें की आय, संपत्ति, अपराध आदि के संबंध में शपथ-पत्र लेने का भी प्रावधान क्यों नहीं है? जस्टिस आरएस झा व जस्टिस वीके शुक्ला की डिवीजन बेंच ने जवाब के लिए चार सप्ताह का समय दिया। मई २०१९ मे कोर्ट ने केंद्रीय रक्षा मंत्रालय , राज्य निर्वाचन आयोग, डायरेक्टर जनरल डिफेन्स इस्टेट, केन्ट बोर्ड के प्रेसीडेन्ट व सीईओ से जवाब मांगा था।
सुको के हैं दिशानिर्देश
केट क्षेत्र निवासी एलएलबी के छात्र साहिल अग्रवाल ने जनहित याचिका में कहा कि दिसंबर 2019 में केन्ट बोर्ड के चुनाव प्रस्तावित है। केन्ट बोर्ड के चुनाव दस साल पुराने केन्टोनमेन्ट इलेक्ट्रोरल रूल्स 2007 के तहत कराए जाते हैं। इन नियमों में ईवीएम से मतदान, नोटा (किसी को वोट नहीं ), प्रत्याशियों की संपत्ति, आय, आपराधिक प्रकरण के संबंध में शपथ-पत्र लेने की व्यवस्था नहीं है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में चुनाव में ईवीएम, नोटा, शपथ-पत्र आदि वर्तमान में लोकसभा, विधानसभा चुनाव के लिए प्रचलित अन्य नियमों का पालन करने को कहा गया है।
आवेदन पर नहीं हुआ विचार
2015 में उसकी याचिका पर कोर्ट ने केन्द्र सरकार और केन्ट बोर्ड को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया । लेकिन अभी तक विचार नहीं हुआ। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने तर्क दिया कि निष्पक्ष व पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए ये चुनाव भी ईवीएम से कराए जाए। सुको निर्देशित अन्य प्रावधान भी नियमों में शामिल किए जाएं।