नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रही हैं, तो मां का वाहन हाथी होता है। नवरात्रि शनिवार या मंगलवार से शुरू होती है, तो मां का वाहन घोड़ा होता है। नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होती है, तो मां डोली में बैठकर आती हैं। नवरात्रि बुधवार से शुरू हो तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं। शुक्ला ने बताया कि माता हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं, तो ज्यादा पानी बरसता है। घोड़े पर आती हैं, तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं। नौका पर सवार होकर आती हैं, तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर मां डोली में बैठकर आती हैं, तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है। उन्होंने बताया कि इस बार माता अश्वारूढ़ होकर आ रही हैं। इस समय रूस-यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। माता के अश्व वाहन के परिणामस्वरूप यह युद्ध और विकराल रूप ले सकता है।

नौ दिनों की पूरी नवरात्र
इस बार चैत्र माह में पडऩे वाली नवरात्रि का त्योहार 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहा है। इस बार यह पूरे नौ दिन अर्थात 11 अप्रैल तक रहेगा। नौ दिनों की नवरात्र को पूर्ण नवरात्र भी कहा जाता है। नवरात्र के पहले दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 2 अप्रैल को माता के लिए कलश स्थापना की जाए।
इस प्रकार है कलश स्थापना का मुहूर्त
शुक्ला ने बताया कि कलश स्थापना के लिए दो अप्रेल को सारा दिन मुहूर्त है। सुबह 7.30 से नौ बजे तक शुभ चौघडिय़ा, 8.05 से 10.05 बजे तक वृषभ लग्न, 1.30 से तीन बजे तक लाभ चौघडिय़ा, तीन से 4.30 बजे तक अमृत चौघडिय़ा, छह से 7.30 बजे तक प्रदोषकाल व रात्रि नौ से 10.30 बजे तक शुभ चौघडिय़ा में कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त हैं।