टैक्स से बढ़ा उत्साहप्रदेश सरकार को शराब पर भारी टैक्स मिल रहा है। इसी का असर है कि सरकार ने एक अप्रेल से आबकारी नीति में बदलाव किया। शराब सस्ती हुई, तो बिक्री बढ़ गई। इसी बीच शराब बंदी के मुद्दे पर उमाभारती की सक्रियता बढ़ी, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कहना पड़ा कि शराबबंदी से कुछ नहीं होगा। उनका कहना था कि जहां शराब बंद है, वहां भी बिक रही है। पीने वाले कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। इसलिए सबको मिलकर जागरुकता अभियान चलाना होगा। सरकार और आमजन मिलकर प्रदेश को नशामुक्त बनाएंगे।
10 करोड़ के बजट का मतलब क्या है?
प्रदेश सरकार ने नई आबकारी नीति बड़े उत्साह के साथ लागू की। दावा किया गया कि अब शराब सस्ती हो जाएगी। विपक्ष ने तो इस पर सवाल खड़े ही किए, उमाभारती ने बाकायदा आंदोलन चलाने का मसौदा बना लिया। जवाब में सरकार ने नशाबंदी के लिए सामाजिक न्याय विभाग को जनजागरण अभियान चलाने के लिए दस करोड़ रुपए का बजट देने की बात कही। जानकार सवाल उठा रहे हैं कि शराब की बिक्री बढ़ाने के तमाम जतन क्यों किए जाते हैं? आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश सरकार को बीते साल आबकारी विभाग से तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिला था।
नशाबंदी के लिए बजट काफी कमपूरे प्रदेश में नशामुक्ति अभियान चलाने के लिए मिलने वाली रकम अधिकारी कम मानते हैं। सामाजिक न्याय विभाग को नशाबंदी के लिए वर्ष 2019-20 में 72.79 लाख रुपए आवंटित हुए थे। साल 2020-21 में 73 लाख, 2021-22 में 73 लाख रुपए आवंटित हुए। उमाभारती की ओर से दबाव बढ़ा, तो इस बार का बजट दस करोड़ करने की बात कही गई। जानकारों के अनुसार सम्बंधित विभाग की कार्यप्रणाली देखकर उक्त बजट भी खानापूर्ति के लिए ही है। सामजिक संगठनों को अपने साथ जोडऩे में पसीने छूट जाएंगे। आम लोगों को नशे से दूर रहने के लिए तैयार करना इतना आसान नहीं है।
आंखों देखी-कानों सुनी-'हमे भी पता है शराब नुकसान करती हैÓ
सिविल लाइंस इलाके में रेलवे स्टेडियम के पास का एक 'रेस्टोरेंटÓ। शाम होते ही वहां वाहनों की कतार लगने लगी थी। अंदर का माहौल कैसा था, यह बताने की शायद जरूरत नहीं। कोने की एक टेबल पर दो लोग आमने सामने बैठे थे। दोनों सिगरेट के कश लगाते हुए बेखयाली में छत की ओर देख रहे थे। एकदम चुप। आंखें अधखुली। माथे पर गहरी लकीरें। लग रहा था कुछ गहरा सोच रहे हैं। एक से पूछ लिया...शराब पीना तो नुकसानदायक है ना? जवाब में वे एकटक निहारते रह गए। फिर सिगरेट का कश लिया और बोले... हमें भी पता है शराब नुकसान करती है। फिर पीते क्यों हैं, के जवाब में सामने वाले सज्जन ने कहा... मूड खराब मत करो भाई। पीते हैं, तो पीते हैं। इसका जवाब तो 20 साल से अपने घर में नहीं दे पाए, आपको क्यों और क्या देंगे? अच्छा कोई बात नहीं, यह बता दें कि सरकार पूर्ण शराबबंदी लागू कर दे, तब क्या करेंगे? तब की तब देखेंगे। फिलहाल तो सरकार ही कह रही है कि शराबबंदी पर विचार नहीं हो रहा। .... कितना दार्शनिक जवाब था उनका। आगे कोई सवाल सूझा ही नहीं।
वर्जनअभी तक नशामुक्ति अभियान के लिए विभाग को किसी तरह के बजट आवंटन की जानकारी नहीं है। बजट आने पर नशामुक्ति के लिए जरूरी प्रयास किए जाएंगे।
आशीष दीक्षित, संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय विभाग