जबलपुर

आइएमइआइ नम्बर चेंज कर, सर्विलांस को भी मात दे रहे अपराधी

शहर में चल रहा है आइएमइआइ नंबर बदलने का खेल, चोरी और लूट के मोबाइल का महज पांच सौ और हजार रुपए में बदला जा रहा आइएमइआइ नंबर, पांच हजार में तीन दिन का दिल्ली में होता है कोर्स
 

जबलपुरApr 06, 2019 / 10:19 pm

santosh singh

शहर में चल रहा है आइएमइआइ नंबर बदलने का खेल,

जबलपुर। लूट, हत्या, चोरी और अपहरण जैसे जघन्य वारदातों का खुलासा करने के लिए अभी तक पुलिस मोबाइल के सर्विलांस पर निर्भर रहती है। खासकर चोरी, लूट व डकैती के प्रकरणों में मोबाइल एक प्रमुख जरिया अपराधियों तक पहुंचने का होता है। मगर अब पुलिस की इस तकनीक पर आइएमइआइ नम्बर चेंज करने वाले एक्सपर्ट भारी पड़ रहे हैं। शहर में धड़ल्ले से मोबाइल दुकानों पर आइएमइआइ नम्बर चेंज करने का गोरखधंधा चल रहा है। महज पांच सौ से हजार रुपए में ये एक्सपर्ट आइएमइआइ नम्बर चेंज कर देते हैं।
केस-एक
31 मार्च 2019 को लार्डगंज, मदनमहल व ओमती पुलिस ने संयुक्त रूप से जयंती कॉम्पलेक्स में मां मोबाइल दुकान के संचालक सिंधी कैम्प निवासी आकाश को दबोचा था। वह लूट के मोबाइल का आइएमइआइ नम्बर बदल देता था।
केस-दो
16 सितम्बर 2018 को गोहलपुर पुलिस ने मिलौनीगंज मछली मार्केट के पीछे केजीएन मोबाइल शॉप में दबिश देकर संचालक नवी अहमद केा दाबेचा था। वह चोरी के मोबाइलों का आइएमइआइ नम्बर बदल देता था।
केस-तीन
05 नवम्बर 2017 को क्राइम ब्रांच ने शीतलामाई में प्रतीक मोबाइल नाम से दुकान चलाने वाले घमापुर निवासी ऋषि चौरसिया को गिरफ्तार किया था। वह चाइनीज सॉफ्टवेयर से आइएमइआइ नम्बर बदल देता था।

लुटेरों से ढाई से तीन हजार में मोबाइल खरीदता था

31 मार्च को लार्डगंज, ओमती व मदनमहल पुलिस द्वारा संयुक्त कार्रवाई कर आठ लुटेरों को दबोचा गाय था। उनकी पूछताछ पर टीम ने जयंती कॉम्प्लेक्स में मां मोबाइल दुकान के संचालक सिंधी कैम्प निवासी आकाश को गिरफ्तार किया था। वह लुटेरों से ढाई से तीन हजार में मोबाइल खरीदता और फिर उनके लॉक खोलकर आइएमइआइ नम्बर बदल देता था।

टेलीग्राफिक एक्ट सहित आइटी की धारा बढ़ायी-
मदनमहल पुलिस ने आकाश की दुकान से डेस्कटॉप जब्त किया था। इसमें जो सॉफ्टवेयर मिले, वो आइएमइआइ टेम्परिंग से सम्बंधित थे। दुकान की तलाशी में 12 डोंगल हार्डवेयर भी जब्त किया था। एक डोंगल 10 से 15 हजार में आता है। इस डोंगल को डेस्कटॉप की मदद से मोबाइल से जोडकऱ आइएमइआइ बदल दिया जाता था। पुलिस ने गुरुवार को उसके खिलाफ टेलीग्राफिक एक्ट, मोबाइल के आइएमइआइ नम्बर चेंज करने पर धारा 420, 465 और आइटी एक्ट की धारा बढ़ाते हुए जेल भेज दिया।
आगे के दो नंबर होने चाहिए सेम-
मोबाइल के साफ्टवेयर में यदि कोई प्रॉब्लम आती है, तो रिपेरिंग करने वाला उसका डाटा अपने पीसी में सेव कर देता है। इस दौरान मोबाइल का आइएमइआइ नंबर भी रिपेयरिंग सेंटर संचालक तक पहुंच जाता है। चोरी के मोबाइल सेटों में आइएमइआइ नंबर रिप्लेस करते समय इसी डाटा का इस्तेमाल शातिर करते हैं। इसमें किसी भी मोबाइल के आइएमइआइ नंबर के आगे के दो नंबर और उसमें जो दूसरे मोबाइल का नंबर चढ़ाया जा रहा है उसके आगे के दो नंबर सेम होने चाहिए।
मरम्मत वाले या पुराने फोन का उपयोग-
आइएमइआइ नंबर रिप्लेस करने के लिए शातिर ऐसे मोबाइलों को चुनते हैं, जिसकी रिपेयरिंग में ज्यादा खर्च आने के कारण ग्राहक वापस नहीं ले जाते। मोबाइल के आइएमइआइ नंबर करप्ट होते ही उसकी यूनिवर्सल आईडेंटिट भी खत्म हो जाती है। जिस कारण पुलिस उसे ट्रेस नहीं कर पाती।
क्या है आइएमइआइ नंबर –
मोबाइल में आइएमइआइ नंबर( इंटरनेशनल मोबाइल इक्यूपमेंट आईडेंटिटी) ही उसकी पहचान होती है। आइएमइआइ नंबर से ही टेलीकॉम कंपनियां यह पता लगा लेती हैं कि यह मोबाइल किस स्थान व किस टॉवर पर एक्टिव है। अब आइएमइआइ नम्बर चेंज होने पर पुलिस की साइबर सेल इस तरह के मोबाइल का पता नहीं लगा पाएगी। पुलिस की साइबर विंग मल्टीनेशनल सॉफ्टवेयर डेवलपर्स से मदद लेने की कवायद में है।
इस तरह चल रहा खेल-
दिल्ली में इस तरह की ट्रेनिंग पांच से आठ हजार रुपए में दी जाती है। तीन दिन की ट्रेनिंग में आइएमइआइ नम्बर चेंज करने का तरीका बताया जाता है। मोबाइल रिपेयरिंग की आड़ में शातिर दिल्ली से चाइना में डेवलप किए गए सॉफ्टवेयर खरीदकर लाते हैं। इसे बाद में कम्प्यूटर या लैपटॉप में स्टॉल किया जाता है। इसके बाद कंडम हो चुके अलग-अलग मोबाइल कम्पनियों के सेट के आइएमइआइ नम्बर चोरी कर रिप्लेस किया जाता है। इसे रैकेट की भाषा में मोबाइल की रिलॉचिंग कहा जाता है।

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