ढाई क्विंटल वजन वाले लाल बलुआ पत्थर पर बनी है मूर्ति
सुनाचार के पूर्व सरपंच परमलाल अहवासी ने बताया कि यह मंदिर गांव से एक किमी दूर नर्मदा तट पर बना है। टीले पर बने इस अति प्राचीन मंदिर के बगल में एक कमरा बना हुआ है, जो नर्मदा परिक्रमा करने वालों का आश्रय स्थल है। पिछले तीन महीने से यहां उज्जैन के एक सन्यासी बंशीलाल पांचाल ठहरे हुए हैं। हालांकि चोरी के बारे में उन्हें भी कुछ पता नहीं चल पाया। ढाई क्विंटल वजन वाले लाल बलुआ पत्थर पर नक्काशीदार मूर्ति उकेरी गई है। गांव के महेश प्रसाद तिवारी यहां पूजा-पाठ करते हैं। रात आठ बजे मंदिर के पट बद हो गए थे।
पूजा करने पहुंचे ग्रामीण तो गायब देखी मूर्ति
सुनाचर गांव में पिछले 40 वर्षों से श्रीराम भजन की प्रभात फेरी होती है। गांव के कोटवार सुदामा, बालाराम चौधरी, मुनीम पटेल, सोनी पटेल, लखन बर्मन, चेत सिंह, मातबर सिंह लोधी सुबह पांच बजे प्रभात फेरी के बाद नर्मदा घाट पर जाते हैं और वहां से मंदिर दर्शन को जाते हैं। मंगलवार सुबह पहुंचे तो अंदर मूर्ति गायब मिली। मंदिर से लोगों की जुड़ी आस्था का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां नया मंदिर बनाने ग्रामीणों ने 40 लाख रुपए का चंदा एकत्र किया है।
सब्बल से उखाड़ कर ले गए चोर
एसडीओपी पाटन रोहित काशवानी ने बताया कि मूर्ति को उठाने के लिए कम से कम चार लोग रहे होंगे। पत्थर घिसटने के निशान भी मिले हैं। ग्रामीणों से पता चला है कि एक बिना नम्बर की कार सोमवार दोपहर मंदिर के पास दिखी थी। इसके बाद रात दो बजे भी उस कार को निकलते हुए देखा गया। चोरी का प्रकरण दर्ज कर रोड पर लगे कुछ सीसीटीवी के माध्यम से जांच की जा रही है।
कल्चुरी काल की अति दुर्लभ है मूर्ति
जिला पुरातत्व अधिकारी पीसी महोबिया ने बताया कि यह प्राचीन मूर्ति कल्चुरी काल की है। इस तरह की एक प्रतिमा पुरातत्व विभाग और एक शहडोल में हर्रा टोला स्थित मंदिर में है। इस तरह की प्राचीन कलाकृति बेशकीमती होती है।