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मध्यप्रदेश में यहां बन रहा सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल, मिलेगा टीबी और सांस की बीमारी का सस्ता इलाज

locationजबलपुरPublished: Apr 28, 2019 07:37:48 pm

Submitted by:

abhishek dixit

स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी साइंसेस में जल्द होगा इलाज

World Health Day

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जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल का रास्ता साफ होग गया है। जल्द ही यहां टीबी, सांस और छाती के रोगों के उपचार की सुपर स्पेशिएलिटी सुविधा उपलब्ध होगी। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी साइंसेस के निर्माणाधीन भवन के पहले फेज का काम पूरा हो गया है। मरीजों की जांच से सबंधित बुनियादी उपकरण भी लग गए हैं। चुनाव आयोग की स्वीकृति के बाद स्कूल में रेग्युलर फैकल्टी के स्वीकृत पदों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया लगभग पूरा हो गई है। मेडिकल ऑफिसर और नर्सेस के तीस पदों पर भर्ती की कवायद भी शुरू कर दी गई है। अगले महीने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होगी। उसके बाद स्वीकृति प्राप्त होते ही मेडिकल कॉलेज में खुल रहे पहले स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की ओपीडी के दरवाजे मरीजों के लिए खोल दिए जाएंगे।

60 बिस्तर से शुरुआत
स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के पहले फेस में 60 बिस्तर के अस्पताल का भवन तैयार है। सूत्रों के अनुसार एक्स-रे, सोनोग्राफी सहित अन्य आवश्यक उपकरण स्थापित हो गए हैं। ऑक्सीजन प्लांट और सप्लाई सिस्टम की टेस्ंिटग की जा रही है। सात करोड़ रुपए से अधिक राशि अभी तक स्कूल शुरू करने पर खर्च हो चुकी है।

चार साल बाद बदला प्रोजेक्ट
एनएससीबीएमसी में वर्ष 2014 में साढ़े चार करोड़ रुपए से टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के नए भवन की नींव रखी गई थी। वर्ष 2018 में सरकार ने अचानक योजना बदल दी। टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की घोषणा की। स्कूल के लिए 25 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें अतिरिक्त अनुदान की राशि मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से दी जाएगी।

फैक्ट
25 करोड़ रुपए का स्कूल
15 करोड़ रुपए का भवन
110 बिस्तर का अस्पताल
10 आइसीयू होंगे इसमें
08 सुपरस्पेशलिस्ट नियुक्त (इसमें 1-1 डायरेक्टर, प्रोफेसर, दो एसो. प्रोफे. और 4 असि. प्रोफेसर)
01 पद मेडिकल ऑफिसर का, नियुक्ति प्रक्रिया जारी
30 पद नर्सिंग स्टाफ के
10 पद पैरामेडिकल स्टाफ के

भवन का पहले चरण का काम पूरा हो गया है। मरीजों की जांच के जरूरी बुनियादी उपकरण आ गए हैं। बिजली का कनेक्शन और पानी की आपूर्ति की प्रक्रिया चल रही है। उपचार जल्द शुरू करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र भार्गव, डायरेक्टर, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पल्मोनरी साइंसेस (एनएससीबीएमसी)

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