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एनएसीसीबी मेडिकल कॉलेज में चार साल में तीन सौ नए मरीज रजिस्टर्ड
कैंसर के हर दिन सामने आ रहे हैं नए मरीज, मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च बंद
स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट भी खटाई में
कैंसर के बढ़ते मर्ज के चलते एनएससीबी मेडिकल कॉलेज परिसर में वर्ष 2015 में स्टेट कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए 135 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया। केंद्र की 60 और राज्य सरकार की 40 फीसदी की हिस्सेदारी तय की गई। वर्ष 2018 से अस्पताल में मरीजों का उपचार शुरू होना था पर इसके लिए राज्य सरकार ने तो हिस्सा दे दिया है। लेकिन, केंद्र सरकार ने बजट नहीं दिया।
इंस्टीट्यूट से फायदा
– 200 बिस्तर और 40 आइसीयू का हॉस्पिटल
– 50 करोड़ से भवन, 85 करोड़ के उपकरण होंगे।
– लीनियर एक्सेलेटर मशीन होगी। रेडियोथैरेपी जैसा इलाज होगा।
– गरीब मरीजों को बेहतर उपचार। शोध सुविधा में विस्तार।
इन मरीजों ने चौंकाया
13 साल में एनल कैंसर
पन्ना निवासी एक बच्चे को पेट दर्द की शिकायत पर जांच कराई तो एनल (गुदा) द्वार में गांठ मिली। इसमें कैंसर था। अक्सर 50 वर्ष या उससे अधिक उम्र में होने वाले एनल कैंसर से पीडि़त बेहद कम उम्र का यह केस दुर्लभ है।
13 दिन में किडनी का कैंसर
रीवा निवासी एक महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे को किडनी में फस्र्ट स्टेज का कैंसर था। गर्भपात की सलाह दी। केस मेडिकल कॉलेज पहुंचा, तो चिकित्सकों ने डिलेवरी के 13 दिन बाद ही नवजात की सर्जरी की। ऑपरेशन करके किडनी से कैंसर का ट्यूमर अलग किया।
दो दिन के नवजात को कैंसर
ग्रामीण क्षेत्र की एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया तो उसकी हालत नाजुक थी। जांच में नवजात कैंसर के संक्रमण का शिकार मिला। नवजात की सर्जरी करके कैंसर से बचाने के कोशिश हुई।
कैंसर की बीमारी को लेकर मेडिकल कॉलेजों में चल रहे कार्यों के बारे में जानकारी ली जाएगी। रिसर्च होनी चाहिए। इस संबंध में विचार-विमर्श कर उचित निर्णय किया जाएगा।
– विजयालक्ष्मी साधौ, चिकित्सा शिक्षा मंत्री
स्टेट कैंसर रिसर्च सेंटर के निर्माण में केंद्र सरकार के अनुदान के सम्बंध में जानकारी लूंगा। अधिकारियों से बातचीत करके राशि जल्द से जल्द जारी करने के प्रयास किए जाएंगे।
– राकेश सिंह, सांसद